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10 दिसंबर को होगा संसद भवन के नए परिसर का भूमिपूजन, PM मोदी को निमंत्रण देने पहुंचे लोकसभा स्पीकर ओम बिरला

संसद भवन की इमारत को 10 दिसंबर को भूमिपूजन हो सकता है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक लोकसभा स्पीकर ओम बिरला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इसका निमंत्रण देने उनके आवास पर पहुंचे हैं.

Updated on: 05 Dec 2020, 01:33 PM

नई दिल्ली:

संसद भवन की इमारत को 10 दिसंबर को भूमिपूजन हो सकता है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक लोकसभा स्पीकर ओम बिरला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इसका निमंत्रण देने उनके आवास पर पहुंचे हैं. सूत्रों ने बताया कि संसद परिसर में महात्मा गांधी और भीमराव अंबेडकर सहित लगभग पांच प्रतिमाओं को निर्माण कार्य के कारण अस्थायी रूप से स्थानांतरित किए जाने की संभावना है और परियोजना के पूरा होने पर नए परिसर के भीतर प्रमुख स्थानों पर इन प्रतिमाओं को फिर से स्थापित कर दिया जाएगा.

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भारत को एक नया संसद भवन मिलने जा रहा है. 10 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दिसंबर नए संसद भवन का शिलान्यास कर सकते हैं. दरअसल पिछले काफी समय से संसद भवन के नए परिसर को लेकर चर्चाएं की जा रही थी. सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के तहत नए भवन का निर्माण मौजूदा भवन के पास किया जाएगा और इसके निर्माण कार्य शुरू होने के 21 महीने में पूरा होने की उम्मीद है. सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के तहत एक नए त्रिकोणीय संसद भवन, एक संयुक्त केंद्रीय सचिवालय और राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक तीन किलोमीटर लंबे राजपथ के पुनर्निमाण की परिकल्पना की गई है.

पेपरलेस बनेगा नया संसद भवन
योजना के अनुसार, नए संसद भवन में सभी सांसदों के लिए अलग-अलग कार्यालय होंगे, जो 'पेपरलेस ऑफिस' बनाने की दिशा में नवीनतम डिजिटल इंटरफेस से लैस होंगे. इतना ही नहीं अभी मंत्री अलग- अलग जगह बैठते हैं, उनके आने जाने और इमारत के किराए में खर्च होता है. नई इमारत में सभी मंत्री एक जगह बैठेंगे और किराए मे जाने वाले पैसे की बचत होगी. 

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1927 में बना था मौजूदा संसद भवन
मौजूदा संसद भवन 1927 में बना था. दरअसल जिस वक्त इस संसद का निर्माण किया गया था उस वक्त यह दो सदन वाली संसद के लिए नहीं था. संसद में सदस्यों की संख्या बढ़ने के कारण मौजूदा भवन में जगह कम हो गई है. लोकसभा और राज्यसभा दोनों एकदम भरे रहते हैं. दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन में सदस्यों को प्लास्टिक की कुर्सियों पर बैठना पड़ता है, जो कि सदन की गरिमा के अनुकूल नहीं है. इसके साथ ही मौजूदा भवन भूकंपरोधी भी नहीं है.