दिल्ली में घर-घर राशन योजना पर केंद्र की रोक, अरविंद केजरीवाल ने बुलाई समीक्षा बैठक
दिल्ली की केजरीवाल सरकार की बहुप्रतीक्षित घर-घर राशन वितरण योजना पर ग्रहण लग गया है. केंद्र सरकार ने इस योजना पर रोक लगा दी है.
नई दिल्ली:
दिल्ली (Delhi) की केजरीवाल सरकार की बहुप्रतीक्षित घर-घर राशन वितरण योजना पर ग्रहण लग गया है. केंद्र सरकार ने इस योजना पर रोक लगा दी है. हालांकि केंद्र सरकार की ओर से इस योजना पर रोक लगाए जाने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) ने समीक्षा बैठक बुलाई है. समीक्षा बैठक सुबह 11 बजे शुरू होगी. इस बैठक में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के अलावा खाद्य एंव नागरिक आपूर्ति मंत्री और आयुक्त शामिल होंगे. इसके बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दोपहर 12 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे.
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दरअसल, केजरीवाल सरकार ने लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) के तहत राशन बांटने के लिए 'मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना (एमएमजीजीआरवाई)' शुरू करने का प्लान बनाया था. 25 मार्च को दिल्ली में इस योजना को लागू करना था. लेकिन राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए) के तहत राशन का वितरण कोई राज्य सरकार अन्य योजना के नाम से करे, यह केंद्र सरकार को मंजूर नहीं है. लिहाजा केंद्र ने एनएफएसए के अनाज के वितरण के लिए इस योजना को मंजूरी देने से मना कर दिया है.
केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के तहत खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग में संयुक्त सचिव एस. जगन्नाथन ने शुक्रवार को दिल्ली सरकार खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के सचिव सह आयुक्त को इस संबंध में एक पत्र भी लिखा. इस पत्र में कहा गया कि एनएफएसए के अनाज के वितरण के लिए दिल्ली सरकार द्वारा योजना के नए नाम को स्वीकृति नहीं दी जा सकती है. हालांकि पत्र में केंद्र सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया है कि राज्य सरकार एनएफएसए के अनाजों की मिक्सिंग किए बगैर अगर अलग से कोई योजना बनाती है तो उसे कोई एतराज नहीं होगा.
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इस पत्र में केंद्र ने दिल्ली सरकार से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत पात्र लाभार्थियों को राशन वितरण के लिए एनएफएसए के मानदंडों को पालन करने का आग्रह किया है. केंद्र ने कहा कि एनएफएसए के तहत लाभार्थियों को सस्ती दरों पर अनाज उपलब्ध कराने के लिए जो राशन राज्यों को आवंटित किया जाता है, उसका उपयोग एनएफएसए के अलावा दूसरे नाम के तहत राज्य की योजना या अन्य योजना को लागू करने के लिए नहीं किया जा सकता है. साथ ही, नाम समेत अधिनियम के प्रावधानों में नाम में किसी प्रकार का बदलाव संसदीय प्रक्रियाओं के तहत ही किया जा सकता है.
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