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अवमानना मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट के जज सी एस कर्णन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया जमानती वारंट

अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट के समन के बावजूद कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस सी एस कर्णन एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में पेश नहीं हुए।

Updated on: 10 Mar 2017, 12:13 PM

highlights

  • अवमानना का नोटिस झेल रहे हैं जस्टिस कर्णन के खिलाफ जमानती वारंट जारी 
  • जस्टिस कर्णन लगाया था बीस सिटिंग और रिटायर्ड जजों पर करप्शन का आरोप
  • देश के न्यायिक इतिहास में पहली बार हाईकोर्ट के जज के खिलाफ अवमानना का मामला

नई दिल्ली:

अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाइकोर्ट के जज जस्टिस कर्णन के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट के समन के बावजूद कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस सी एस कर्णन एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में पेश नहीं हुए। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 31 मार्च को पेश होने का निर्देश दिया है।

जस्टिस कर्णन को 10,000 रुपये का जमानती बॉन्ड भरना होगा। देश के न्यायिक इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट किसी कार्यकारी हाईकोर्ट के जज के खिलाफ अवमानना का मामला चला रही है। 

गौरतलब है कि 13 फरवरी को पिछली सुनवाई के दौरान भी जस्टिस कर्णन और उनके वकील सुप्रीम कोर्ट में पेश नहीं हुए थे। जिसके कारण सुप्रीम कोर्ट ने मामले में कार्रवाई तीन हफ्ते के लिए टाल दी थी। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को लिखे पत्र को भी संज्ञान में लिया है। इस पत्र में जस्टिस कर्णन ने अपने खिलाफ सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी अवमानना नोटिस को दलित विरोधी बताया और इस कार्रवाई की वैधानिकता पर सवाल उठाया है। 

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कहां से शुरू हुआ मामला

बता दें कि जस्टिस कर्णन 2011 से पूर्व और मौजूदा जजों पर शुरू से आरोप लगाते आ रहे हैं कि उनके दलित होने की वजह से उन्हें परेशान किया जा रहा है। जस्टिस कर्णन ने 23 जनवरी को 'प्रधानमंत्री को लिखे एक खत में 20 सिटिंग और रिटायर्ड जजों पर करप्शन का आरोप लगाते हुए कार्रवाई किये जाने की मांग की थी।' सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्णन के इस तरह के खत और अलग-अलग जगह पर दिए गए बयानों का स्वतः संज्ञान लिया हैं। 

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इससे पहले भी रहा विवादों से नाता 

2016 में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम से कोलकाता हाईकोर्ट में ट्रांसफर किए जाने के आदेश पर जस्टिस कर्णन ने कहा था कि उन्हें दुख है कि वह भारत में पैदा हुए हैं और वह ऐसे देश में जाना चाहते हैं जहां जातिवाद न हो। कलकत्ता हाईकोर्ट से पहले जस्टिस कर्णन मद्रास हाईकोर्ट में तैनात थे।