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अयोध्या विवाद की सुनवाई का रास्ता साफ, कोर्ट ने मुस्लिम पक्षकारों की मांग ठुकराई

इस मसले को लेकर तीन जजों की राय एक नहीं थी. कोर्ट रूम में दो फैसला पढ़े गए. पहला फैसला जस्टिस अशोक भूषण ने अपना और दूसरा फैसला जस्टिस अब्दुल नज़ीर ने पढ़ा.

Updated on: 27 Sep 2018, 09:20 PM

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले से अयोध्या भूमि विवाद की सुनवाई का रास्ता साफ हो गया है. तीन जजों की बेंच ने में दो जजो ने फैसले में कहा कि साल 1994 में दिए इस्माइल फारुकी फैसले पर दोबारा से विचार करने की जरूरत नहीं है. कोर्ट ने मुस्लिम पक्षकारों की इस मांग को खारिज कर दिया. दरअसल मुस्लिम पक्षकारों की मांग थी कि सुप्रीम कोर्ट मूल भूमि विवाद की सुनवाई करने से पहले इस्माइल फारुकी फैसले को पुनर्विचार करने के लिए मामला 7 जजों की बैंच को सौंपे.

इस्माइल फ़ारूक़ी फैसला और मुस्लिम पक्षकारों की मांग

1994 में दिये इस फैसले में पांच जजों की बेंच ने अयोध्या की विवादित भूमि के केंद्र सरकार के अधिग्रहण किये जाने को सही ठहराते हुए टिप्पणी की थी कि इस्लाम में नमाज पढ़ने के लिए मस्जिद की अनिवार्यिता नहीं है.

मुस्लिम पक्षकारों का दावा था कि इस फैसले में की गई इस टिप्पणी से भूमि विवाद पर उनका दावा कमजोर पड़ता है लिहाजा पहले इस पर पुर्नविचार होना चाहिए और इसे 7 जजों की बेंच को भेजा जाना चाहिए

हिंदू पक्षकारों और सरकार ने विरोध किया

सुनवाई के दौरान यूपी सरकार और हिंदू पक्षकारों ने इस मांग का विरोध किया था. उनका दलील थी कि 1994 में इस्माइल फारूकी फैसला आने के बाद मुस्लिम पक्षकारों इलाहाबाद हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में अपील दायल करते हुए इस मसले को कभी नहीं उठाया, और अब वो ऐसा करके मामले की सुनवाई को लटकाने की कोशिश कर रहे हैं

आज के फैसले में जजों की राय

इस मसले को लेकर तीन जजों की राय एक नहीं थी. कोर्ट रूम में दो फैसला पढ़े गए. पहला फैसला जस्टिस अशोक भूषण ने अपना और दूसरा फैसला जस्टिस अब्दुल नज़ीर ने पढ़ा.

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और अशोक भूषण ने अपने फैसले में कहा कि इस्माइल फारुकी फैसले में की गई टिप्पणी सिर्फ ज़मीन अधिगह्रण के संदर्भ में थी, इसका मूल भूमि विवाद से कोई वास्ता नहीं है, न ही भूमि विवाद में इस दलील को आधार बनाया जा सकता है. लिहाजा इस फैसले पर पुनर्विचार करने की जरूरत नहीं है

हालाकि बेंच के तीसरे जज जस्टिस अब्दुल नजीर की राय अलग थी. उन्होनें फैसले में कहा कि इस्माइल फारुखी फैसले में बिना तथ्यों की पूरी पड़ताल किए कोर्ट
ने टिप्पणी की थी, और इस मसले को बड़ी बेंच को पुनर्विचार करना चाहिए

अब आगे क्या होगा

सुप्रीम कोर्ट में भूमि विवाद की अगली सुनवाई 29 अक्टूबर को होगी, चूंकि बेंच की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा 2अक्टूबर को रिटायर हो रहे हैं, लिहाजा 29 अक्टूबर को नई बेंच इसकी सुनवाई करेगी.

हिंदू पक्षकारों का कहना है कि इस सुनवाई में कोर्ट से हर रोज सुनवाई की मांग करेंगे ताकि तेजी से सुनवाई होकर मामला निपटारा किया जा सके.