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ज्ञानवापी मामले में SC के आदेश पर ओवैसी बोले- मुस्लिम समाज में भय का माहौल

सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मामले को निचली अदालत की सिविल कोर्ट से जिला जज के पास ट्रांसफर करने का आदेश दिया, साथ ही अपने 17 मई के अंतरिम आदेश को भी अगली सुनवाई तक प्रभावी रखने का निर्देश दिया.

Updated on: 20 May 2022, 07:16 PM

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मामले को निचली अदालत की सिविल कोर्ट से जिला जज के पास ट्रांसफर करने का आदेश दिया, साथ ही अपने 17 मई के अंतरिम आदेश को भी अगली सुनवाई तक प्रभावी रखने का निर्देश दिया. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने हैदराबाद में कहा कि SC ने मिशाल देकर आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने वजू की इजाजत दी है. सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश बरकरार रखा है. 1991 एक्ट को लागू करना चाहिए. उम्मीद है जिला कोर्ट न्याय करेगा.

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असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि भविष्य के विवादों को रोकने के लिए पूजा स्थल अधिनियम 1991 बनाया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर पर सुनवाई के दौरान कहा कि यह कानून संविधान के बुनियादी ढांचे का हिस्सा है. उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि स्थानीय डीएम याचिकाकर्ताओं का सहयोग कर रहे हैं. अगर SC ने कहा है कि धार्मिक अनुष्ठान की अनुमति दें, तो इसमें तालाब से वजू शामिल है. जब तक वजू न करे तब तक नमाज़ नहीं पढ़ी जा सकता. फव्वारा संरक्षित किया जा सकता है, लेकिन तालाब खुला होना चाहिए.

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उन्होंने कहा कि सिविल जज ने मुस्लिम पक्ष को नहीं सुना था. सिविल जज ने गलत आदेश पारित किया था.मुस्लिम समाज में भय का माहौल है. बाबरी कांड फिर से दोहराने नहीं देंगे. 1991 एक्ट का उल्लंघन हो रहा है. हैदराबाद एनकाउंटर पर ओवैसी ने कहा कि मैं हर एनकाउंटर के खिलाफ हूं. एनकाउंटर कानून के शासन को कमजोर करता है.