आलोक वर्मा के मुद्दे पर बोले अरुण जेटली, सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन करेगी सरकार
आलोक वर्मा मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सरकार की तरफ से सफाई दी है.
नई दिल्ली:
आलोक वर्मा मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सरकार की तरफ से सफाई दी है. अरुण जेटली ने कहा कि सरकार ने सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने का फैसला सीवीसी (CVC) की सिफारिशों के बाद लिया था. जेटली ने कहा, 'सीबीआई का कानून है कि भ्रष्टाचार के मामले में अधिकार सीवीसी का है और हटाने का अधिकार एक समिति का है. सरकार की मंशा साफ सुथरी जांच की थी. ये कानूनी मामला है. सरकार ने सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने का फैसला सीवीसी की सिफारिशों के बाद लिया था.'
Finance Minister Arun Jaitley: The government had taken this action of sending two senior officers of the CBI on leave on the recommendation of the CVC. (File pic) pic.twitter.com/Nsqdvn9dnK
— ANI (@ANI) January 8, 2019
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सीबीआई के मामले में दो तरीके के प्रावधान हैं. पहले में अगर ट्रांसफर से जुड़ा मामला होता है तो हाई लेवल कमेटी के पास जाता है, लेकिन भ्रष्टाचार से जुड़ा कोई मामला है तो सीवीसी की सिफारिश पर भी काम हो सकता है. अरुण जेटली ने कहा कि सरकार ने लक्ष्य सिर्फ सीबीआई की स्वायत्ता को बचाना था. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एक जवाबदेही का मैकेनिज्म भी तैयार किया है कि एक वीक में सरकार मीटिंग बुलाये. इसपर आगे काम किया जाएगा.
वर्मा एवं सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेजे जाने के निर्णय का संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा, 'सरकार ने यह फैसला सीबीआई की संप्रभुता को बचाए रखने के लिए किया...सरकार ने सीबीआई के दो वरिष्ठ अधिकारियों को छुट्टी पर भेजे जाने की कार्रवाई सीवीसी की अनुशंसा पर की थी.'
उन्होंने कहा कि न्यायालय ने एक हफ्ते के भीतर फैसला लेने के लिए मुद्दे को समिति के पास भेज दिया है.
इसे भी पढ़ें : CBI Vs CBI: आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने का फैसला SC ने किया निरस्त पर नीतिगत फैसले नहीं लेंगे
जेटली ने कहा, 'सीबीआई की निष्पक्ष एवं भेदभाव रहित कार्यशैली के व्यापक हित को देखते हुए न्यायालय ने स्पष्ट तौर पर सीबीआई निदेशक को मिली सुरक्षा को मजबूत किया है. साथ ही साथ न्यायालय ने जवाबदेही की व्यवस्था का रास्ता भी निकाला है. न्यायालय के निर्देशों का निश्चित तौर पर अनुपालन होगा.
वर्मा के अधिकार वापस ले लेने के केंद्र को फैसले को दरकिनार करते हुए उच्चतम न्यायालय ने वर्मा की बहाली कर दी लेकिन उनपर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की सीवीसी जांच खत्म होने तक उन्हें कोई भी बड़ा नीतिगत फैसला लेने से रोक दिया.
शीर्ष अदालत ने कहा कि वर्मा के खिलाफ आगे कोई भी फैसला उच्चाधिकार प्राप्त समिति लेगी जो सीबीआई निदेशक का चयन एवं नियुक्ति करती है.
गौरतलब है कि वर्मा को केंद्र सरकार के 23 अक्टूबर के फैसले के बाद छुट्टी पर भेज दिया गया था और वह 31 जनवरी को सेवानिवृत्त होने वाले हैं.
(इनपुट एजेंसी)
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