अनुच्छेद 35A: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टली, संविधान पीठ को भेजने पर होगा विचार
सुनवाई शुरू होने के बाद कुछ ही देर बाद चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस एएम खानविलकर की पीठ ने सुनवाई को यह कहते हुए टाल दिया कि तीन जजों की बेंच पहले यह तय करेगी कि यह मामला पांच जजों की बेंच को ट्रांसफर किया जाए या नहीं।
नई दिल्ली:
जम्मू कश्मीर में स्थाई नागरिकता की परिभाषा तय करने वाले अनुच्छेद 35 A की सुनवाई 27 अगस्त के लिए टल गई है। दरअसल अनुच्छेद 35 A से जुड़े मामले को सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच सुनती रही है। आज एक जज जस्टिस डी वाई चन्दचुड़ कोर्ट में मौजूद नहीं थे। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस ए एम खानविलकर की बेंच ने कहा, 'मसला 5 जजों की संविधान पीठ को भेजने पर विचार 3 जजों की बेंच ही कर सकती है।'
चीफ जस्टिस ने कहा कि कोर्ट इस पर विचार करेगा कि क्या अनुच्छेद 35A संविधान के मूलभूत ढांचे का उल्लंघन तो नहीं करता है, इसमे विस्तृत सुनवाई की जरूरत है। याचिकाकर्ता ने सुनवाई के लिए संविधान पीठ के गठन की मांग की है।
राज्य सरकार ने सुनवाई टालने की मांग की
हालांकि राज्य सरकार ने सूबे में पंचायत और स्थानीय निकाय चुनाव का हवाला देकर दिसंबर तक सुनवाई टालने की मांग की। लेकिन कोर्ट ने इस मांग पर पर विचार नहीं किया और सुनवाई को 27 अगस्त के लिए टाल दिया है।
याचिकाकर्ता की मांग
याचिकाकर्ताओं ने इसे संविधान के अनुच्छेद 14 यानी समानता के अधिकार का हनन बताया है। ऐसा इसलिए क्योंकि 35A के तहत अगर कोई कश्मीरी पुरष किसी गैर कश्मीरी से शादी करता है तो शादी करने वाले कश्मीरी पुरुष के बच्चों को स्थायी नागरिक का दर्जा और तमाम अधिकार मिलते हैं।
जबकि राज्य के बाहर शादी करने वाली कश्मीरी महिलाओं के बच्चों को वो अधिकार नही मिलते। वो राज्य विधानसभा में वोट नहीं डाल सकते, राज्य में सम्पति नहीं खरीद सकते। याचिककर्ता ने इस पर भी सवाल उठाया है कि संसद में प्रस्ताव ला कर पास करवाए बिना संविधान में नया अनुच्छेद (आर्टिकल 35A) कैसे जोड़ दिया गया। इस आधार पर इसे निरस्त करने की मांग की गई है।
क्या हैअनुच्छेद 35A
दरअसल अनुच्छेद 35A को मई 1954 में राष्ट्रपति के आदेश के ज़रिए संविधान में जोड़ा गया था। ये अनुच्छेद जम्मू कश्मीर विधान सभा को ये अधिकार देता है कि वो राज्य के स्थायी नागरिक की परिभाषा तय कर सके। सिर्फ इन्हीं नागरिकों को राज्य में संपत्ति रखने, सरकारी नौकरी पाने या विधानसभा चुनाव में वोट देने का हक मिलता है।
और पढ़ें- 35-ए पर बोले सुब्रमण्यम स्वामी, आशा है सुप्रीम कोर्ट इसे निष्प्रभावी करेगी
इसी वजह से जम्मू कश्मीर में बाहर से आकर बसे हज़ारो शरणार्थियों की स्थायी नागरिकता ना होने के चलते उन्हें बुनियादी हक़ नहीं मिलते।
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
-
KKR vs DC Dream11 Prediction : कोलकाता और दिल्ली के मैच में ये हो सकती है ड्रीम11 टीम, इन्हें चुनें कप्तान
-
KKR vs DC Head to Head : कोलकाता और दिल्ली में होती है कांटे की टक्कर, हेड टू हेड आंकड़ों में देख लीजिए
-
KKR vs DC Pitch Report : बल्लेबाज मचाएंगे धमाल या गेंदबाज मारेंगे बाजी? जानें कैसी होगी कोलकाता की पिच
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Akshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीया के दिन करें तुलसी के ये उपाय, आर्थिक तंगी होगी दूर!
-
Guru Gochar 2024: 1 मई को गुरु गोचर से बनेगा कुबेर योग, जानें आपकी राशि पर इसका प्रभाव
-
Varuthini Ekadashi 2024: वरुथिनी एकादशी के दिन जरूर करें ये उपाय, धन से भर जाएगी तिजोरी
-
Shiv Ji Ki Aarti: ऐसे करनी चाहिए भगवान शिव की आरती, हर मनोकामना होती है पूरी