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भारत-चीन के बीच आज कोर कमांडर स्तर की बैठक, इन बातों पर रहेगा इंडिया का फोकस

पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन में सीमा विवाद को लेकर चल रही तनातनी के बीच आज फिर दोनों देशों की सैन्य स्तर की बैठक होगी. दोनों देशों के बीच कोर कमांडर स्तर की बातचीत होगी.

Updated on: 02 Aug 2020, 10:19 AM

नई दिल्ली:

पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन (India and China) में सीमा विवाद को लेकर चल रही तनातनी के बीच आज फिर दोनों देशों की सैन्य स्तर की बैठक होगी. दोनों देशों के बीच कोर कमांडर स्तर की बातचीत होगी. इस दौरान दोनों सेनाओं के वरिष्ठ कमांडर निकट भविष्य में बैठक करेंगे, ताकि लद्दाख (Ladakh) के फिंगर एरिया से चीनी सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया पूरा करने की दिशा में उठाए जाने वाले कदमों पर चर्चा की जा सके.

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भारत-चीन के सैन्य अधिकारियों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन की ओर मोल्डो में यह वार्ता सुबह 11 बजे होगी. सूत्र बताते हैं कि भारत का पूरा फोकस फिंगर एरिया से चीनी सैनिकों को पीछे करने पर रहेगा. जानकारों का कहना है कि गलवान घाटी और कुछ अन्य स्थानों (जहां संघर्ष हुआ था) से चीन की सेना वापस जा चुकी है, लेकिन पैंगोंग सो इलाके में फिंगर पांच से फिंगर आठ तक के क्षेत्र से चीनी सैनिकों की वापसी उस तरह से नहीं हो रही है.

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चीनी सैनिक तनाव वाले बिंदुओं से पीछे नहीं हटे हैं. गोगरा, पैंगोंग झील और देपसांग क्षेत्र में जमीनी स्तर पर बहुत कुछ नहीं बदला है. पैंगोंग झील और हॉट स्प्रिंग्स-गोगरा क्षेत्र जो गश्ती प्वाइंट 17 ए का हिस्सा है, अभी भी अस्थिर है. पैंगोंग झील के पास चीनी सैनिक फिंगर 4 से फिंगर 5 के क्षेत्र से वापस चले गए, लेकिन वे अभी भी माउंटेन स्पर्स पर बने हुए हैं. यही नहीं, चीनी सैनिक फिंगर 5 और फिंगर 8 के बीच अपनी स्थिति मजबूत कर रहे हैं.

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लिहाजा आज इन्हीं बातों को लेकर भारत अपना रुख चीन के सामने रखेगा. ज्ञात हो कि इससे पहले भारत और चीन के बीच अब तक 4 दौर की बैठक हो चुकी है. सीमा मुद्दे पर दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधि, भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच 5 जुलाई 2020 को टेलीफोन पर बातचीत हुई थी. वहीं, 24 जुलाई को राजनयिक बातचीत में दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय समझौते और प्रोटोकाल के अनुरूप वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैनिकों के जल्द और पूरी तरह से पीछे हटने पर सहमति व्यक्त की थी, जो सम्पूर्ण द्विपक्षीय संबंधों के लिए जरूरी है.