नूपुर शर्मा केस में SC के बयानों ने लांघी लक्ष्मण रेखा: देश के 117 गणमान्य लोगों ने CJI को लिखा पत्र
बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नुपुर शर्मा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत की बेंच द्वारा की गई हालिया टिप्पणियों ने न्याय के गलियारों के अंदर और बाहर रहने वालों के बीच विवाद खड़ा कर दिया है.
highlights
- देश के गणमान्य लोगों ने लिखा सीजेआई से पत्र
- नूपुर शर्मा मामले में SC बेंच की टिप्पणी ने लांघी लक्ष्मण रेखा
- असंवैधानिक टिप्पणी वापस लेने की मांग
नई दिल्ली:
बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नुपुर शर्मा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत की बेंच द्वारा की गई हालिया टिप्पणियों ने न्याय के गलियारों के अंदर और बाहर रहने वालों के बीच विवाद खड़ा कर दिया है. इस सिलसिले में अब नुपुर शर्मा पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों के खिलाफ 15 सेवानिवृत्त न्यायाधीश, 77 सेवानिवृत्त नौकरशाह और 25 सेवानिवृत्त सेना के अधिकारियों ने एक ओपन स्टेटमेंट जारी किया गया है।. ये स्टेटमेंट "फोरम फॉर हुमन राइट्स एंड सोशल जस्टिस" लेह लद्दाख की संस्था के तत्वावधान में जारी किया गया है.
संस्था की ओर से कहा गया है की सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति परदीवाला द्वारा नूपुर की याचिका पर "दुर्भाग्यपूर्ण" टिप्पणियां की गईं. बता दें कि पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ अपमानजनक बातें कहने के आरोप में नुपुर के खिलाफ दिल्ली, कोलकाता, बिहार समेत कई राज्यों में केस दर्ज हुए हैं, नूपुर के एडवोकेट अलग अलग राज्यों में दर्ज सभी केस को दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग लेकर शीर्ष अदालत की अवकाश पीठ के समक्ष पहुंचे. याचिका लगाई की नुपुर को जान से मारने और रेप की धमकियां मिल रही हैं, ऐसे में अलग अलग राज्यों में जाकर इन्वेस्टिगेशन ज्वाइन करना उनके लिए जोखिम भरा है. इस पर बेंच ने नुपुर को बुरी तरह फटकारा. टिप्पणी की कि उनकी वजह से देश में माहौल बिगड़ा, अशांति और हिंसा हुई. उदयपुर जैसी घटना के लिए भी जिम्मेदार ठहराया. याचिका पर राहत देने से इंकार कर दिया, आखिरकार उनकी ओर से पेश वकील ने याचिका वापिस ले ली.
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फोरम ने कहा है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकार की रक्षा करने के बजाय, याचिका का संज्ञान लेने से इनकार कर दिया और याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने और उचित फोरम (उच्च न्यायालय) से संपर्क करने के लिए मजबूर किया, यह अच्छी तरह से जानते हुए कि उच्च न्यायालय का अधिकार क्षेत्र नहीं है कि वो अन्य राज्यों में दर्ज एफआईआर / मामलों को ट्रांसफर या क्लब करें. ह्यूमन राइट्स फोरम ने जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की अविवेकपूर्ण टिप्पणियों पर पीड़ा व्यक्त की और भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना को पत्र लिख कर नुपुर पर न्यायाधीशों से अपनी असंवैधानिक टिप्पणी वापस लेने के लिए कहने का आग्रह किया.
The open letter by organisation 'Forum for Human Rights and Social Justice, J&K and Ladakh at Jammu' demands the roster of Justice Surya Kant be withdrawn till he attains superannuation and least be directed to withdraw the remarks and observations made by him during the hearing. pic.twitter.com/S3TLEtPWxo
— ANI (@ANI) July 5, 2022
बेंच के खिलाफ बयान देने वालों पर अवमानना कार्यवाही की मांग
वहीं, बेंच के खिलाफ बयान देने वाले दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस एसएन ढींगरा, पूर्व अमन लेखी और वरिष्ठ वकील रमा कुमार के खिलाफ आपराधिक अवमानना चलाने की मांग की है. इस बारे में सुप्रीम कोर्ट के वकील CR जया सुकिन ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल को पत्र लिखा है. पत्र में कहा कि पूर्व जज जस्टिस एसएन ढींगरा, पूर्व अमन लेखी और वरिष्ठ वकील रमा कुमार ने नूपुर शर्मा के मामले सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर मीडिया में बयान दिया, इस पर कार्यवाही की जाए.
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