बोरिस जॉनसन के JCB कारखाने के उद्घाटन पर एमनेस्टी ने उठाए सवाल
मानवाधिकार समूह एमनेस्टी इंडिया ने भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों की आजीविका के अधिकार पर इन ‘बेरहम हमलों' को सुरक्षित भविष्य की उनकी आशाओं पर हमला करार दिया.
highlights
- गुजरात में कल ही बोरिस जॉनसन ने किया जेसीबी कारखाने का उद्घाटन
- जहांगीरपुरी में अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई से असंतुष्ट है एमनेस्टी
- इस कार्रवाई पर बोरिस जॉनसन की चुप्पी को उचित नहीं बनाया संस्था ने
नई दिल्ली:
एमनेस्टी इंडिया ने दिल्ली के जहांगीरपुरी में नगर निगम द्वारा बुलडोजर से घरों को ढहाये जाने के एक दिन बाद गुजरात में एक जेसीबी कारखाने का उद्घाटन करने के लिए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) पर निशाना साधा और उन पर इस घटना की ‘अनदेखी’ करने का आरोप लगाया और इस पर उनकी ‘चुप्पी’ पर सवाल भी उठाया. इससे पहले दिन में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने गुजरात के पंचमहाल जिले के हलोल में निर्माण उपकरण कंपनी जेसीबी (JCB) के एक नये कारखाने का उद्घाटन किया. जॉनसन भारत की दो दिवसीय यात्रा पर हैं.
ब्रिटिश पीएम की चुप्पी पर उठाए सवाल
एक दिन पहले दिल्ली में भाजपा शासित नगर निगम द्वारा जहांगीरपुरी में एक मस्जिद के पास बुलडोजर द्वारा कई कंक्रीट निर्मित और अस्थायी ढाचों को ढहा दिया गया था. इस कार्रवाई से कुछ दिन पहले उत्तर-पश्चिम दिल्ली के इस इलाके में साम्प्रदायिक हिंसा हुई थी. इस अभियान को रोकने के लिए उच्चतम न्यायालय को दो बार हस्तक्षेप करना पड़ा. शीर्ष अदालत ने ऐसा जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवायी करते हुए किया. एमनेस्टी इंडिया ने तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए ट्वीट किया, 'दिल्ली नगर निगम द्वारा उत्तर पश्चिम दिल्ली के जहांगीरपुरी में मुसलमानों की दुकानों को गिराने के लिए जेसीबी बुलडोजरों का उपयोग करने की पृष्ठभूमि में, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री द्वारा गुजरात में एक जेसीबी कारखाने का उद्घाटन न केवल अनदेखा किया जाना है, बल्कि इस घटना पर उनकी चुप्पी भी स्तब्ध करने वाली है.’
यह भी पढ़ेंः गुजरात : पहले साबरमती आश्रम गए फिर बुलडोजर पर सवार हुए बोरिस जॉनसन
सुरक्षित भविष्य की आशाओं पर हमला
एमनेस्टी इंडिया ने कहा कि ब्रिटेन की सरकार को मूकदर्शक नहीं बने रहना चाहिए. उसे मानव अधिकारों पर चर्चा करनी चाहिए. भारत न्याय के लिए एक और दिन इंतजार नहीं कर सकता.’ एमनेस्टी इंडिया ने ट्वीट किया, ‘अधिकारियों को ध्वस्तीकरण की कार्रवाई पर रोक लगाने को लेकर भारत के उच्चतम न्यायालय के एक आदेश के बावजूद और आदेश की अवहेलना करते हुए कार्रवाई जारी रही. जहांगीरपुरी के निवासियों को अपनी संपत्ति बचाने का मौका भी नहीं दिया गया.’ मानवाधिकार समूह एमनेस्टी इंडिया ने भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों की आजीविका के अधिकार पर इन ‘बेरहम हमलों' को सुरक्षित भविष्य की उनकी आशाओं पर हमला करार दिया.
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