पाकिस्तान के खिलाफ 1965 की जंग के हीरो ‘परमवीर’ अब्दुल हमीद के बेटे अली ने अस्पताल में दम तोङा, नहीं मिली ऑक्सीजन
बीते कई दिनों से हसन अली बीमार थे, हैलट अस्पताल में उनका उपचार चल रहा था और अली को सांस लेने में दिक्कत थी.
highlights
- अब्दुल हमीद के बेटे अली हसन को ऑक्सिजन नहीं मिलने की वजह से निधन हो गया
- हैलट अस्पताल के डॉक्टरों ने ऑक्सिजन का सिलिंडर नहीं दिया
- परिजनों ने बताया कि बीते कई दिनों से हसन अली बीमार थे
कानपुर:
पाकिस्तान के खिलाफ सन् 1965 की जंग में ‘परमवीर चक्र’ विजेता अब्दुल हमीद ने दुश्मनों के कई टैंकों को अकेले ही नेस्तनाबूत कर दिया था. उस अब्दुल हमीद के बेटे अली हसन (61) को हैलट अस्पताल में ऑक्सिजन नहीं मिलने की वजह से निधन हो गया, परिजनों ने बताया कि बीते कई दिनों से हसन अली बीमार थे, हैलट अस्पताल में उनका उपचार चल रहा था और अली को सांस लेने में दिक्कत थी, उन्होंने बताया उन्हें खांसी आने से उनका दम उखड़ने लगा, और उन्हें सांस लेने में दिक्कत होने लगी, उनके बेटे सलीम ने बताया कि देर रात पिता को लेकर हैलट अस्पताल में भर्ती कराया. डॉक्टरों ने पहले उन्हें ऑक्सिजन सिलिंडर लगा दिया, जिससे उनकी हालत में सुधार होने लगा. चार घंटे बाद डॉक्टरों ने यह कहते हुए ऑक्सिजन सिलिंडर हटा लिया यह कह कर कि तबीयत में सुधार है, और अब ऑक्सिजन सिलिंडर की जरूरत नहीं है, और ऑक्सिजन सिलिंडर हटाने के बाद उनकी तबीयत बिगड़ती चली गई, डॉक्टरों ने बाहर से ऑक्सिजन सिलिंडर की व्यवस्था करने को कहा. हसन अली के बेटे ऑक्सिजन सिलिंडर की व्यवस्था करने में जुट गए. इसके साथ ही डॉक्टरों से भी हाथ जोड़कर ऑक्सिजन लगाने की गुहार लगाते रहे, वीर अब्दुल हमीद की शहादत का वास्ता देकर भी गुजारिश की, लेकिन डॉक्टरों ने ऑक्सिजन का सिलिंडर नहीं दिया और इसी वजह से हसन अली ऑक्सिजन के अभाव में अली हसन ने दम तोड़ दिया.
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डॉक्टरों ने हसन अली का कोरोना टेस्ट भी नहीं कराया, मौत हो जाने के बाद उनके परिजन को शव सौंप दिया गया. शुक्रवार को शाम हसन अली के शव को गंज शहीदा कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाख कर दिया गया.
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वीर अब्दुल हमीद का परिवार मूलरूप से गाजीपुर में रहता है. लेकिन उनके दूसरे नंबर के बेटे अली हसन अपने परिवार के साथ कानपुर के सैयद नगर में रहते थे. अली हसन के परिवार में पत्नी फरीदा नसरीन, बेटा सलीम जावेद, तनवीर और बेटियां राबिया, सलमा, गजाला है. अली हसन 2016 में ओएफसी से रिटायर हो गए थे. सेवानिवृत होने के बाद उन्होंने कानपुर में अपना आशियाना बना लिया था.
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