सिर्फ एक घंटे में नेता विपक्ष से उपमुख्यमंत्री बन गए अजित पवार, विपक्षी एकता को लगा बड़ा झटका
महाराष्ट्र की राजनीति में रविवार का दिन अचानक से बदलाव का गवाह बना. एनसीपी नेता अजित पवार केवल एक ही घंटे में विपक्षी के नाते से राज्य के उपमुख्यमंत्री बन गए तो वहीं विपक्षी एकता को भी उनके इस फैसले से बड़ा झटका लगा.
highlights
- अजित पवार के फैसले से विपक्षी एकता को झटका
- एक घंटे के अंदर बदला पूरा घटनाक्रम
- विपक्ष के नेता से डिप्टी सीएम बने अजित पवार
New Delhi:
महाराष्ट्र की राजनीति में रविवार को अचानक ऐसा उलटफेर हुआ कि एनसीपी से लेकर लेकर विपक्षी एकता में भी फूट की सुगबुगाहट शुरु हो गई. क्योंकि अजित पवार के बागी तेवरों के चलते वह सिर्फ एक घंटे के अंदर विपक्ष के नेता से राज्य के मुख्यमंत्री बन गए. उधर भतीजे की बगावत ने एक बार फिर से राष्ट्रवादी कांग्रेस (NCP) को टूट के कगार पर पहुंचा दिया. अब देखने वाली बात ये होगी कि राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी शरद पवार इस स्थिति से कैसे बाहर आते हैं. उपमुख्यमंत्री बनने से करीब एक घंटा पहले ही अजित पवार ने अपने समर्थक विधायकों के साथ अपने आवास पर बैठक की और उसके बाद वह शिंदे सरकार में शामिल होने के लिए राजभवन के लिए निकल गए.
एनसीपी के इन विधायकों ने भी ली शपथ
जहां अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो वहीं एनसीपी के कई विधायक भी मंत्री बन गए. जिनमें दिलीप वलसे पाटिल, छगन भुजबल, अदिति तटकरे, धर्मराव अत्रम, सुनील वलसाडे, हसन मुश्रीफ, धन्नी मुंडे और अनिल पाटिल का नाम शामिल है. इस दौरान राजभवन में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस भी मौजूद रहे. बता दें कि शरद पवार के करीबी माने जाने वाले एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल भी राजभवन में मौजूद रहे. बताया जा रहा है कि एनसीपी की राज्य इकाई में प्रमुख के रूप में मौका ने मिलने से अजित पवार असंतुष्ट थे.
रविवार को जब उन्होंने विधायकों के साथ बैठक की तो राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल और सुप्रिया सुले भी शामिल हुईं. हालांकि, सुले ने बैठक बीच में ही छोड़ दी और वहां से चली गईं. इससे पहले ही एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने पुणे में शरद पवार से फोन पर बातचीत की. बता दें कि राजनीतिक घटनाक्रम के चलते शरद पवार पुणे में हैं और उन्होंने अपने सभी पूर्वनिर्धारित कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं.
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अजित पवार की बगावत से विपक्षी एकता को भी लगा झटका
ऐसा माना जा रहा है कि अजित पवार की इस बगावत से विपक्षी एकता को भी झटका लगा है. सूत्रों के मुताबिक, 2024 के चुनाव से पहले एनसीपी का बीजेपी और शिवसेना से साथ चले जाना विपक्षी एकता के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है. क्योंकि इतना बड़ा फैसला शरद पवार की मंजूरी के बिना नहीं लिया जा सकता था. जिसे कांग्रेस द्वारा राहुल गांधी को थोपने की कोशिश का नतीजा भी माना जा रहा है.
शरद पवार बोले, अजित को बैठक बुलाने का अधिकारी
ये बात इसलिए भी कही जा रही है क्योंकि अजित पवार के आवास पर हुई बैठक से पहले ही शरद पवार ने कहा था कि, मुझे ठीक से पता नहीं है लेकिन विपक्ष के नेता होने के नाते उन्हें विधायकों की बैठक बुलाने का अधिकार है. उन्होंने कहा कि वह नियमित रूप से ऐसा करते हैं. हालांकि उन्होंने इस बैठक के संबंध में अधिक जानकारी होने से इनकार किया. लेकिन उन्होंने कहा कि शाम तक नेता उनसे मिलने आते रहेंगे. बता दें कि पिछले सप्ताह ही एनसीपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने उनके इस्तीफे के मामले पर बात की और पार्टी नेताओं ने कहा कि अंतिम निर्णय दो महीने में लिया जा सकता है. 25 जून को शरद पवार ने कहा था कि पार्टी अजित पवार की मांग पर फैसला लेगी. हालांकि उन्होंने अजित पवार के बीजेपी में शामिल होने की खबरों से लगातार इनकार किया.
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