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आईएनएस ध्रुव( Photo Credit : न्यूज नेशन)
भारत देश के पहले लंबी दूरी की न्यूक्लियर मिसाइल व हवाई हमलों की निगरानी वाले जहाज आईएनएस ध्रुव की तैनाती करने जा रहा है. यह स्पेशल रिसर्च शिप दुश्मन के मिसाइल को ट्रैक करने के साथ ही पृथ्वी की निचली कक्षा में सैटेलाइटों की निगरानी भी करेगी. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल (AjiT Doval) आज यानि शुक्रवार को भारत का पहला सैटलाइट और बैलिस्टिक मिसाइल ट्रैकिंग जहाज ध्रुव (Dhruv Ship) लॉन्च करेंगे. इसकी शुरुआत विशाखापट्टनम से होगी. इसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन (NTRO) के सहयोग से हिंदुस्तान शिपयार्ड तैयार किया है. INS ध्रुव में दुश्मन की पनडुब्बियों के रिसर्च का पता लगाने के लिए समुद्र के तल को मैप करने की क्षमता है.
15,000 टन मिसाइल रेंज इंस्ट्रूमेंटेशन की शिप
स्वदेश निर्मित 15,000 टन मिसाइल रेंज इंस्ट्रूमेंटेशन जहाज को लंबी दूरी के राडार, गुंबद के आकार के ट्रैकिंग एंटीना और एडवांस इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम से लैस किया गया है. 175 मीटर लंबी मिसाइल-ट्रैकिंग पोत को पहले एक सीक्रेट प्रोजेक्ट के हिस्से के रूप में 'वीसी 11184' नाम दिया गया था. इस शिप की तैनाती ऐसे समय में हो रही है जब ऐसा ही एक चीनी पोत वर्तमान में हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में एक और निगरानी और निगरानी मिशन पर चल रहा है.
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ऐसा करने वाला भारत बना 6वां देश
चीन नियमित रूप से हिंद महासागर क्षेत्र में ऐसे जहाजों और सर्वे शिप को भेजता है. इनका उपयोग नेविगेशन और पनडुब्बी संचालन के लिए उपयोगी समुद्री विज्ञान और अन्य डेटा का पता लगाने में भी किया जाता है. स्पेशल पोत आईएनएस ध्रुव के साथ ही भारत अमेरिका, रूस, चीन और फ्रांस जैसे देशों के एक चुनिंदा समूह में शामिल हो जाएगा.
नेवी की एनटीआरओ टीम करेगी संचालित
आईएनएस ध्रुव को नेवी की नेशनल रिसर्च टेक्निकल ऑर्गनाइजेशन (एनटीआरओ) और रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के मेंबर संचालित करेंगे. आईएनएस ध्रुव पर एडवांस टेक्निकल इक्यूपमेंट्स की एक बड़ी रेंज है. साथ ही इस पर एक हेलीकॉप्टर डेक भी है. यह दुश्मनों के बैलिस्टिक मिसाइलों का पता लगाने और ट्रैक करने के लिए समुद्र पर एक अर्ली अलर्ट सिस्टम के रूप में कार्य करेगा. यह जमीन से छोड़े गए कई वारहेड्स के साथ या पनडुब्बियों को भी निशाना बना सकता है.
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मिसाइल का पता लगा बीएमडी को देगा सूचना
एक बार शिप के राडार पर इस तरह की आने वाली मिसाइलों का पता लगने के बाद, लैंड बेस्ड बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा (बीएमडी) सिस्टम उन्हें ट्रैक कर मार गिराएगा. वर्तमान में DRDO की तरफ से विकसित की जा रही दो स्तरीय BMD प्रणाली में 2,000 किलोमीटर की रेंज में दुश्मन की मिसाइलों को रोकने के लिए AAD (उन्नत वायु रक्षा) और PAD (पृथ्वी वायु रक्षा) इंटरसेप्टर मिसाइल हैं. ऐसे शक्तिशाली सेंसर के साथ INS ध्रुव का भी उपयोग किया जा सकता है.
क्या है INS ध्रुव की खासियत
- 15,000 टन वजनी INS ध्रुव जहाज की लागत लगभग 725 करोड़ रुपये
- INS ध्रुव इलेक्ट्रॉनिक स्कैन एरे (AESA) रडार से लैस है, दुश्मन देश की मिसाइल रेंज के सटीक डेटा को ट्रेस कर सकता है.
- बैलिस्टिक मिसाइलों को भी करेगा ट्रैक.
- जासूसी उपग्रहों की निगरानी के साथ-साथ, मिसाइल परीक्षणों की निगरानी के लिए विभिन्न स्पेक्ट्रमों को स्कैन करने की क्षमता.
- सर्विलांस सिस्टम के ऑपरेशन में 14 मेगावाट बिजली की आवश्यकता होगी जो INS ध्रुव खुद बनाएगा.
- इस प्रकार के जहाज को ऑपरेट करने वाला अब विश्व का छठा देश होगा भारत.
HIGHLIGHTS
- INS ध्रुव जहाज की लागत लगभग 725 करोड़ रुपये
- बैलिस्टिक मिसाइलों को भी करेगा ट्रैक करने की खासियत
- जहाज को ऑपरेट करने वाला भारत विश्व का छठा देश होगा