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इंडियन एयरफोर्स( Photo Credit : News Nation)
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श्रीलंका ने चीनी फर्टिलाइजर कंपनी की इस खेप को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया था कि नेशनल प्लांट क्वारंटाइन सर्विस की जांच में वह फर्टिलाइजर दूषित पाया गया है.
इंडियन एयरफोर्स( Photo Credit : News Nation)
चीन-श्रीलंका के मध्य उर्वरक विवाद के बीच भारत भी पहुंच गया है. चीन के साथ दूषित उर्वरक के मामले में श्रीलंका ने कड़ी कार्रवाई की है. दरअसल, चीन की किंगदाओ सीविन बायोटेक की तरफ से भेजी गई ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर की एक खेप को परीक्षणों में दूषित पाए जाने के बाद श्रीलंका सरकार ने उसका भुगतान रोकने का आदेश दिया है. श्रीलंका ने चीनी फर्टिलाइजर कंपनी की इस खेप को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया था कि नेशनल प्लांट क्वारंटाइन सर्विस की जांच में वह फर्टिलाइजर दूषित पाया गया है. इस दूषित फर्टिलाइजर को श्रीलंका ने अपने बंदरगाहों पर उतारने की भी अनुमति नहीं दी. विवाद खड़ा होने के बाद किंगदाओ बंदरगाह से यह खेप लेकर आ रहे जहाज को सिंगापुर की ओर मोड़ दिया गया.
इस बीच भारत ने श्रीलंका को 100 टन नैनो नाइट्रोजन फर्टिलाइजर भेजा है. इंडियन एयरफोर्स के दो सी-17 ग्लोबमास्टर विमान 100 टन नैनो नाइट्रोजन फर्टिलाइजर को श्रीलंका पहुंचाया गया. भारत की तरफ से यह कदम श्रीलंका में दूषित चीनी फर्टिलाइजर मामला सामने आने का बाद उठाया गया है.
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श्रीलंका की एक कमर्शल कोर्ट ने जांच में दूषित पाए गए ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर की एक खेप को लेकर चीन की कंपनी को 49 लाख डॉलर का भुगतान रोकने का आदेश कायम रखा था. भारतीय एंबेसी की तरफ से बताया गया कि c17 विमान के संचालन को श्रीलंकाई वायु सेना के साथ संपर्क कर समन्वित किया गया था.
भारतीय वायुसेना के विमानों की त्वरित तैनाती और रातों-रात तेजी से फर्टिलाइजर पहुंचाना दोनों देशों के बीच निकट समन्वय को दर्शाता है. चीफ ऑफ स्टाफ, श्रीलंका एयरफोर्स एवीएम प्रसन्ना पायो ने भारतीय विमान के चालक दल का स्वागत किया गया. श्रीलंका की तरफ से भारतीय वायुसेना को उनकी त्वरित प्रतिक्रिया और आवश्यक मामलों में निरंतर समर्थन के लिए धन्यवाद दिया गया.
कोलंबो स्थित चीनी दूतावास ने श्रीलंका सरकार के इस कदम पर ऐतराज जताते हुए कहा था कि नमूने के दूषित पाए जाने की स्थिति में दोनों पक्षों को स्विस एसजीएस ग्रुप से दोबारा जांच करवानी चाहिए. इसके साथ ही उसने 29 अक्टूबर को श्रीलंका के पीपुल्स बैंक को भुगतान न करने के लिए प्रतिबंधित भी कर दिया. इस पर पीपुल्स बैंक ने कहा कि वह अदालती आदेश का पालन करने के लिए कानूनी तौर पर बाध्य है. उसने कहा है कि अदालती अड़चनें हटते ही वह भुगतान का आदेश जारी कर देगा.
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