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Aditya-L1 Mission: आदित्य-एल1 को लेकर इसरो ने दिया ये बड़ा अपडेट, मिशन में किया गया ये सुधार

Aditya-L1 Mission: भारत का पहले सौर मिशन आदित्य-एल1 ठीक से काम कर रहा है और ये लगातार सूर्य की ओर बढ़ रहा है. भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो ने इस बारे में जानकारी दी है. इसरो का कहना है कि 6 अक्टूबर को 16 सेंकड में इसमें एक सुधार किया गया.

Updated on: 08 Oct 2023, 02:13 PM

highlights

  • आदित्य-एल1 को लेकर इसरो ने दिया अपडेट
  • सूरज की ओर लगातार बढ़ रहा आदित्य-एल1
  • 6 अक्टूबर को 16 सेकंड के लिए किया गया सुधार

New Delhi:

Aditya-L1 Mission: सूरज की ओर तेजी से बढ़ रहे आदित्य-एल1 मिशन को लेकर इसरो की ओर से बड़ी जानकारी सामने आई है. भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी का कहना है कि अंतरिक्ष यान ठीक काम कर रहा है और लगातार सूर्य की ओर आगे बढ़ रहा है. इसरो ने एक्स पर एक ट्वीट कर कहा कि, 'अंतरिक्ष यान एकदम सही स्थिति में है और सूर्य की ओर बढ़ रहा है.' इसरो ने आगे बताया कि आदित्य-एल1 में 6 अक्तूबर 2023 को 16 सेकंड के लिए एक सुधार किया गया. सुधार की इस प्रक्रिया में प्रक्षेपवक्र सुधार संबित बदलाव किए गए हैं, जिसे ट्राजेस्टरी करेक्शन मैनुवर (TMC) नाम से भी जाना जाता है.

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अंतरिक्ष एजेंसी ने अपने बयान में कहा कि 19 सितंबर को किए गए ट्रांस लैग्रेंजियन प्वाइंट 1 इंसर्शन (TL1I) को ट्रैक करने के बाद मूल्यांकन किया गया. उसके बाद इसके पथ को सही करने के लिए इसकी जरूरत थी. गौरतलब है कि टीसीएम यह सुनिश्चित करता है कि अंतरिक्ष यान एल1 के आसपास हेलो कक्षा सम्मिलन है और वह अपने पथ पर है. बता दें कि जैसे-जैसे आदित्य-एल1 आगे बढ़ता रहेगा, मैग्नेटोमीटर कुछ दिनों के भीतर फिर से चालू हो जाएगा.

भारता पहला सूर्य मिशन है आदित्य-एल1

बता दें कि आदित्य-एल1 भारतीय स्पेस एजेंसी का पहला सौर मिसन है. जिसे इसरो ने 2 सितंबर 2023 को लॉन्च किया था. इस मिशन को इसरो ने पीएसएलवी सी57 लॉन्च व्हीकल से सफलतापूर्वक लॉन्च किया था. सूर्य मिशन की लॉन्चिंग आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) से की गई थी. बता दें कि आदित्य-एल1 भी चंद्रयान-3 की तरह पहले पृथ्वी की परिक्रमा करेगा और फिर यह तेजी से सूरज की ओर उड़ान भरेगा.

पृथ्वी से 15 लाख किमी दूर से अध्ययन करेगा आदित्य-एल1

बता दें कि भारत का पहला सौर मिशन आदित्य-एल1 सौर कोरोना (सूर्य की सबसे बाहरी परतों) के दूरस्थ अवलोकन और एल-1 (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर स्थापित होगा. जहां से वह सूर्य का अध्ययन करेगा. इसे सौर हवा की यथास्थिति अवलोकन के लिए बनाया गया है. सूर्य का एल-1 पॉइंट पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर है.

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तारों के अध्ययन में मिलेगी मदद

इसरो के मुताबिक, सूर्य हमारे सबसे करीब मौजूद तारा है. यह तारों के अध्ययन में हमारी सबसे अधिक मदद कर सकता है. इसके मिली जानकारियां दूसरे तारों के अलावा हमारी आकाश गंगा और खगोल विज्ञान के कई रहस्य को समझने में हमें मदद करेंगी. पृथ्वी सूर्य से करीब 15 करोड़ किमी दूर है. इस तरह आदित्य-एल1 सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी का मात्र एक फीसदी ही तय करेगा. बावजूद इसके आदित्य-एल1 सूर्य के बारे में कई अहम जानकारियां देगा. जिनके बारे में धरती से जानकारी हासिल करना मुश्किल है.