श्रीनगर के पुराने शहर में 24 वर्षीय एक युवती पर तेजाब हमले ने पूरे कश्मीर में सनसनी मचा दी है. पीड़िता ने कथित तौर पर आरोपी के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था, जिस कारण उसने बर्बर तरीके से बदला लिया. सन् 1990 तक जब पाकिस्तान प्रायोजित विद्रोह ने कश्मीर को अपनी चपेट में ले लिया, तब तक सूफी संतों और ऋषियों की भूमि में तेजाब हमले की बात तक नहीं सुनी जाती थी. घाटी में बंदूक से वार करने वाले उग्रवादियों के दिखाई देने के तुरंत बाद उन्होंने तेजाब का इस्तेमाल एक हथियार के रूप में किया, ताकि वे निष्पक्ष लोगों को डरा सकें. शुरुआत में महिलाओं को हिजाब में चेहरा छुपाए रखने को मजबूर करने के लिए उन पर तेजाब फेंका जाता था और बाद में उन्हें घर की चारदीवारी में बंद करने के लिए एक उपकरण के रूप में तेजाब का इस्तेमाल किया जाता था.
लश्कर-ए-जब्बा ने तेजाबी हमले का दिया था फतवा
पाकिस्तान ने बंदूक के साथ-साथ कश्मीर के लोगों को संघर्ष में उलझाए रखने के लिए एक हथियार के रूप में तेजाब भी दिया, जिसने एक आम आदमी को दर्द, दुख और दुख के अलावा कुछ नहीं दिया. साल 2001 में एक आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-जब्बार ने एक 14 वर्षीय छात्रा पर तेजाब से हमला करने के बाद एक फरमान जारी किया कि कश्मीर में सभी महिलाओं को हिजाब पहनना चाहिए. हमले को चार युवकों ने अंजाम दिया था, जिनके बारे में माना जाता था कि धर्म के नाम पर इस तरह के जघन्य कृत्यों को अंजाम देने के लिए संगठन ने उन्हें प्रेरित किया था.
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दुख्तरान-ए-मिल्लत ने भी दिया बढ़ावा
लश्कर-ए-जब्बार ने 2001 के अंत में घाटी में एसिड हमलों की एक श्रृंखला को अंजाम दिया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि महिलाएं संगठन द्वारा जारी आदेशों का पालन करती हैं. कुछ मामलों में कट्टरपंथी महिला समूह दुख्तारन-ए-मिल्लत के कार्यकर्ताओं पर उन महिलाओं पर तेजाब फेंकने का भी आरोप लगाया गया, जिन्होंने लश्कर-ए-जब्बार द्वारा जारी किए गए फरमानों का पालन करने से इनकार कर दिया था. हालांकि सुरक्षा बलों द्वारा उग्रवादियों पर नकेल कसने के बाद महिलाओं को राहत प्रदान करते हुए संगठन का सफाया कर दिया गया.
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नशा और एसिड अटैक गहरे गए हैं पैठ
घाटी में अब हालात ये हैं कि नशीली दवाओं की लत और एसिड हमले कश्मीर समाज का हिस्सा बन गए हैं. पिछले तीन दशकों के दौरान पाकिस्तान ने कश्मीरी युवाओं के दिमाग को दूषित करने का कोई मौका नहीं छोड़ा है. भारतीय सेना से लड़ने के लिए पड़ोसी देश द्वारा उन्हें थमाई गई बंदूकें, जिन्होंने पारंपरिक युद्धों में पाकिस्तानी सेना को हराया था. इन युवाओं को कब्रिस्तान में ले जा रही हैं और उनके परिवारों के जीवन को तबाह कर रही हैं. महिलाओं पर हुए बर्बर एसिड अटैक ने कई जिंदगियां तबाह कर दी हैं, लेकिन कश्मीर में सुरक्षा बल इस तरह की हरकतों पर लगाम लगाने में सबसे आगे हैं. कश्मीर के लोगों ने भी महसूस किया है कि पिछले तीन दशकों में पाकिस्तान ने उनके साथ कुछ भी अच्छा नहीं किया है. इसके बजाय इसने उन्हें अपने छद्मयुद्ध से लड़ने के लिए एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया है.
HIGHLIGHTS
- लश्कर-ए-जब्बार ने 2001 में घाटी में एसिड हमलों को अंजाम दिया
- इस्लामिक कानूनों को न मानने वालों पर फैंका जाता था तेजाब