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अगस्ता वेस्टलैंड चॉपर घोटाले में पूर्व कैग शशिकांत शर्मा समेत 6 अफसरों को समन

अगस्तावेस्टलैंड वीवीआईपी चॉपर घोटाला (AgustaWestland VVIP Chopper) मामले में सीबीआई (CBI) की सप्लीमेंट्री चार्जशीट का स्पेशल कोर्ट ने संज्ञान लिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने इनके खिलाफ समन जारी कर सभी को 28 अप्रैल को कोर्ट में पेश होने के लिए कहा है.

Updated on: 11 Apr 2022, 01:49 PM

highlights

  • विशेष अदालत ने सीबीआई की रिपोर्ट पर लिया संज्ञान
  • 2 हजार 666 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार का है आरोप
  • आरोपपत्र में पूर्व कैग शशिकांत शर्मा भी हैं शामिल

नई दिल्ली:

अगस्तावेस्टलैंड वीवीआईपी चॉपर घोटाला (AgustaWestland VVIP Chopper) मामले में सीबीआई (CBI) की सप्लीमेंट्री चार्जशीट का स्पेशल कोर्ट ने संज्ञान लिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने इनके खिलाफ समन जारी कर सभी को 28 अप्रैल को कोर्ट में पेश होने के लिए कहा है. गौरतलब है कि सीबीआई ने पूर्व रक्षा सचिव और पूर्व CAG शशिकांत शर्मा, वायुसेना के 4 रिटायर्ड अफसरों के खिलाफ अगस्तावेस्टलैंड वीवीआईपी चॉपर घोटाला मामले में सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की थी. 

3600 करोड़ रु. का है ये चॉपर घोटाला
गौरतलब है कि 3600 करोड़ रुपये के अगस्तावेस्टलैंड वीवीआईपी चॉपर घोटाला (AgustaWestland VVIP Chopper) मामले में तीन हफ्ते पहले सीबीआई ने पूर्व डिफेंस सेक्रेटरी शशिकांत शर्मा के खिलाफ सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की थी. जिन लोगों के खिलाफ सीबीआई ने सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की है. इनमें पूर्व एयर मार्शल जसबीर सिंह पनेसर, तत्कालीन डिप्टी चीफ टेस्टिंग पायल एसए कुंटे, तत्कालीन विंग कमांडर थॉमस मैथ्यू और पूर्व ग्रुप कैप्टर एन संतोष के नाम शामिल हैं. सूत्रों के अनुसार देश के 12वें CAG रहे शशिकांत शर्मा (ShaShikant Sharma) के खिलाफ सीबीआई को अभियोजन की मंजूरी मिल गई है. 

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इन पदों पर रह चुके हैं शर्मा
शशिकांत शर्मा देश के जाने माने प्रशासनिक अफसर हैं. वह वर्ष 2003 से लेकर 2007 के बीच रक्षा मंत्रालय में जॉइंट सेक्रेटरी (एयर) के पद पर रह चुके हैं. इसके बाद वह 2011-2013 के बीच भारत के रक्षा सचिव रहे. इसके बाद वर्ष 2013-2017 के बीच वे सीएसजी के पदभार पर तैनात रहे.

यह है VVIP चॉपर स्कैम
गौरतलब है कि फरवरी 2010 में उस वक्त की UPA सरकार ने 556.262 मिलियन यूरो की लागत से 12 अगस्ता वेस्टलैंड चॉपर खरीदने के लिए एक डील की थी. सरकार ने इन सभी चॉपर्स को VVIP मेहमानों के लिए खरीदने की योजना थी. लेकिन, इसी डील में भ्रष्टाचार की खबर आने के बाद मामले ने राजनीतिक रंग ले लिया था. दरअसल, इस घोटाले में कांग्रेसी नेताओं का नाम इस विवाद में आया था. इसके बाद रिश्वत लेने को लेकर एजेंसियों ने एक बिचौलिए को रिश्वत लेकर डील कराने के लिए गिरफ्तार किया था. उस पर यह आरोप लगा था कि उसने अगस्तावेस्टलैंड को लाभ पहुंचाने के लिए असली डील में चॉपर की स्पेसिफिकेशन में बदलाव करवाया था. इसके बाद CBI ने मामला दर्ज जांच शुरू की थी. गौरतलब है कि एक सीबीआई ने अपनी पहली चार्जशीट में अगस्ता वेस्टलैंड सौदे में सरकारी खजाने को 398.21 मिलियन यूरो यानी तकरीबन 2,666 करोड़ रुपये का अनुमानित नुकसान होने का आरोप लगाया था.