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Lok Sabha Winter Session Photograph: (NN)
Lok Sabha Winter Session: लोकसभा के चल रहे शीतकालीन सत्र में शुक्रवार को कई अहम निजी बिल पेश किए गए. इनमें कर्मचारियों के कामकाजी जीवन से लेकर अन्य सामाजिक सुरक्षा से जुड़े मुद्दे प्रमुख रहे. सबसे ज्यादा चर्चा एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले द्वारा लाए गए 'राइट टू डिस्कनेक्ट बिल, 2025' की रही. यह बिल कर्मचारियों को दफ्तर के निर्धारित समय के बाद कामकाजी कॉल, ईमेल या किसी भी आधिकारिक संचार का जवाब न देने का कानूनी अधिकार देने की बात करता है.
प्रस्तावित कानून में एक कर्मचारी कल्याण प्राधिकरण बनाने की बात भी शामिल है, जो सुनिश्चित करेगा कि कंपनियां कर्मचारियों पर कार्य घंटे से बाहर काम का दबाव न डालें. बिल का उद्देश्य वर्क-लाइफ बैलेंस को मजबूत करना और छुट्टियों या निजी समय में अनावश्यक हस्तक्षेप पर रोक लगाना है. हालांकि, निजी सदस्य बिल प्रायः कानून नहीं बन पाते और बहस के बाद वापस ले लिए जाते हैं, लेकिन ये संसद में महत्वपूर्ण विषयों को उठाने का माध्यम जरूर बनते हैं.
शीतकालीन सत्र के बीच पेश किया बिल
इसके अलावा यह बिल भी भीड़भाड़ वाले शीतकालीन सत्र के बीच पेश किया गया, जिसकी शुरुआत 1 दिसंबर से हुई है और 19 दिसंबर तक 15 बैठकें प्रस्तावित हैं. इस बार संसद का माहौल 12 राज्यों में चल रही मतदाता सूची की स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया को लेकर भी संवेदनशील बना हुआ है.
मासिक धर्म अवकाश को लेकर पहल
महिला कर्मचारियों के अधिकारों पर भी शुक्रवार को दो बड़े बिल पेश किए गए. कांग्रेस सांसद कडियम कव्या ने मेनस्ट्रुअल बेनिफिट्स बिल, 2024 पेश किया, जिसमें मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को विशेष सुविधाएं देने, कार्यस्थलों को अधिक संवेदनशील बनाने और कानूनी ढांचा तैयार करने का प्रस्ताव है.
इसी कड़ी में एलजेपी सांसद शंभवी चौधरी ने महिलाओं और छात्राओं को भुगतानयुक्त मासिक धर्म अवकाश तथा स्वच्छता संबंधी सुविधाएं सुनिश्चित कराने का बिल पेश किया.
NEET से छूट की मांग और पत्रकारों की सुरक्षा
कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने तमिलनाडु को एमबीबीएस दाखिले के लिए NEET परीक्षा से छूट देने से संबंधित प्रस्ताव पेश किया. यह उसी विवाद की कड़ी है जिसमें हाल ही में तमिलनाडु सरकार ने राष्ट्रपति द्वारा राज्य के एंटी-NEET बिल को मंजूरी न देने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
स्वतंत्र सांसद विशालदादा प्रकाशबापू पाटिल ने पत्रकारों पर हमले रोकने और उनकी संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जर्नलिस्ट (प्रिवेंशन ऑफ वायलेंस एंड प्रोटेक्शन) बिल, 2024 भी पेश किया.
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