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लद्दाख हिंसा Photograph: (ANI)
लद्दाख के लेह जिले में बुधवार को हिंसक झड़पों के बाद हालात बिगड़ गए. उपराज्यपाल कविंद्र गुप्ता ने पूरे जिले में कर्फ्यू लगाने का ऐलान किया. इस टकराव में चार लोगों की मौत हो गई जबकि करीब 70 लोग घायल बताए जा रहे हैं, जिनमें कई की हालत गंभीर है.
राज्य का दर्जा देने की मांग से भड़के हालात
केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में पिछले तीन वर्षों से राज्य का दर्जा और संवैधानिक सुरक्षा को लेकर आंदोलन चल रहा है. बुधवार को इसी मांग को लेकर निकला प्रदर्शन अचानक हिंसक हो गया. भीड़ ने पुलिस वाहनों और बीजेपी दफ्तर पर हमला कर दिया. पार्टी कार्यालय में आग लगा दी गई और कई गाड़ियों को जला दिया गया.
उपराज्यपाल का बयान
उपराज्यपाल कविंद्र गुप्ता ने इस हिंसा को साजिश करार दिया और कहा कि मौतों और आगजनी के लिए प्रदर्शनकारी जिम्मेदार हैं. उन्होंने बताया कि भीड़ ने सीआरपीएफ जवानों को वाहन में जलाने की कोशिश की और यहां तक कि डीजीपी लद्दाख की गाड़ी पर भी पथराव हुआ. गुप्ता ने चेतावनी दी कि इस हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी.
प्रदर्शनकारियों का आरोप
वहीं, स्थानीय नेताओं ने सुरक्षा बलों पर अनुपातहीन बल प्रयोग का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि फायरिंग और बर्बर लाठीचार्ज की वजह से बड़ी संख्या में लोग घायल हुए. सोशल मीडिया पर घायलों के लिए ब्लड डोनेशन की अपील की गई है.
बढ़ रहा है असंतोष
2019 में अनुच्छेद 370 हटाने और जम्मू-कश्मीर को दो हिस्सों में बांटने के बाद लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था. शुरुआत में कई स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं, जिनमें सोनम वांगचुक भी शामिल थे, उन्होंने इस फैसले का स्वागत किया था. लेकिन जल्द ही लोगों में राजनीतिक प्रतिनिधित्व की कमी और संसाधनों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ने लगी.
इसी असंतोष ने एपेक्स बॉडी ऑफ लेह और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस जैसे संयुक्त प्लेटफॉर्म को जन्म दिया, जिसमें बौद्ध बहुल लेह और मुस्लिम बहुल कारगिल के नेता साथ आए. हालांकि केंद्र सरकार द्वारा बनाई गई उच्च स्तरीय समिति और दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह के साथ हुई बातचीत किसी नतीजे तक नहीं पहुंच सकी.
नतीजा क्या हुआ?
बातचीत विफल रहने के बाद अब लद्दाख की सड़कों पर गुस्सा फूट पड़ा है. फिलहाल प्रशासन ने शांति की अपील की है और कर्फ्यू को एहतियातन कदम बताया है, लेकिन यह साफ है कि लद्दाख में राजनीतिक और सामाजिक असंतोष गहराता जा रहा है.
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