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कई कांग्रेस नेताओं उगला जहर Photograph: (NN)
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने खुद को जमीन पर मजबूत दिखाने के लिए वोटर अधिकार यात्रा का नारा बुलंद किया था. शुरुआत भी ऐतिहासिक जगह सासाराम से की गई. मकसद साफ था राज्य में लगातार डूबती हालत से जूझ रही पार्टी को फिर से खड़ा करना लेकिन जैसे ही कांग्रेस अपने वोटरों के बीच सहानुभूति और विश्वास जीतने की कोशिश करती है, उसके अपने नेताओं और सहयोगी इकाइयों के बयान पार्टी की मेहनत पर पानी फेर देते हैं.
बिहार की तुलना बीड़ी से?
सबसे ताजा मामला केरल कांग्रेस का है. पार्टी की राज्य इकाई ने बिहार को बीड़ी से जोड़ते हुए एक्स पर लिखा कि “बीड़ी और बिहार दोनों ही बी से शुरू होते हैं, और इसे पाप नहीं माना जा सकता.” यह हल्की-फुल्की लाइन भले ही सोशल मीडिया पोस्ट के लिए लिखी गई हो, लेकिन असर बेहद गहरा पड़ा. बीजेपी ने इस पोस्ट को तुरंत लपककर कांग्रेस पर हमला बोला और सवाल उठाया कि क्या कांग्रेस बिहारियों का मजाक उड़ाकर चुनाव जीतना चाहती है?
तेलंगाना का डीएनए बिहार से बेहतर है.
दरअसल, यह पहला मौका नहीं है जब कांग्रेस नेताओं ने बिहार और बिहारियों को लेकर विवादित बातें कही हों. दिसंबर 2023 का ही मामला लें, जब तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने एक कार्यक्रम में तत्कालीन सीएम केसीआर पर वार करते हुए कहा था, “मेरा डीएनए तेलंगाना का है, जबकि केसीआर का डीएनए बिहारी है. उनकी जाति कुरमी है, जो बिहार से आकर यहां बसे हैं. तेलंगाना का डीएनए बिहार से बेहतर है.” यह बयान सीधे-सीधे बिहारी पहचान को नीचा दिखाने वाला था. उस वक्त भी बीजेपी ने कांग्रेस पर तीखा प्रहार किया था और इसे बिहारियों का अपमान करार दिया था.
बिहारियों को वंचित करो
इसके बाद 18 मई 2024 को पंजाब में कांग्रेस नेता और संगरूर से उम्मीदवार सुखपाल सिंह खैरा ने प्रवासियों पर विवादित टिप्पणी कर दी. खैरा ने साफ कहा कि पंजाब में बिहार और यूपी से आने वाले प्रवासियों पर हिमाचल प्रदेश जैसे कानून लागू होने चाहिए, जो उन्हें कुछ अधिकारों से वंचित कर दें. सोचिए, एक तरफ कांग्रेस वोटर अधिकार यात्रा का नारा लगाती है और दूसरी तरफ उसके नेता प्रवासियों से अधिकार छीनने की वकालत करते हैं.
प्रियंका गांधी गांधी के मंच से बिहारियों को बदनाम
इतना ही नहीं, 2022 में प्रियंका गांधी के पंजाब दौरे के दौरान कांग्रेस नेता चरणजीत सिंह चन्नी ने भी आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी थी. प्रियंका को “पंजाबियों की बहू” बताने के बाद चन्नी ने मंच से कहा था. “यूपी, बिहार, दिल्ली के भाईये आके यहां राज नहीं कर सकते. यूपी बिहार के लोगों को पंजाब में घुसने नहीं देना है.” कांग्रेस के इस बयान से न सिर्फ बिहार, बल्कि पूरे हिंदी भाषी समाज में नाराजगी फैल गई थी.
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री नहीं रहे पीछे
हिमाचल प्रदेश भी इस सूची में पीछे नहीं रहा. वहां के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भारी बारिश से हुए नुकसान के लिए सीधे-सीधे बिहार के मजदूरों को जिम्मेदार ठहरा दिया. यह बयान भी कांग्रेस के उस “समावेशी राजनीति” वाले दावे को खोखला साबित करता है, जो पार्टी मंचों पर बार-बार करती है.
इसलिए बिहार में कांग्रेस का ये हाल है?
इन सभी बयानों को जोड़कर देखें तो तस्वीर बेहद साफ है. कांग्रेस एक तरफ बिहार में मजबूत करने की कोशिश कर रही और दूसरी तरफ उसके नेता, प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री तक बिहारी समाज को अपमानित करने से पीछे नहीं हटते. यही वजह है कि बिहार में कांग्रेस का ग्राफ लगातार नीचे जा रहा है. ऐसे में केरल कांग्रेस का ये बयान अपने आप शर्मनाक है.
प्रदेश में सियासी पारा हुआ हाई
बीजेपी इन बयानों को हथियार बनाकर मैदान में उतर गई है. पार्टी नेताओं का कहना है कि कांग्रेस की असली सोच सामने आ गई है. जो पार्टी खुद को “सबका सम्मान” कहती है, उसके अपने नेता क्षेत्रीय और जातीय आधार पर भेदभाव फैलाने में लगे हुए हैं. बिहार की जनता भी अब इन विरोधाभासों को समझ रही है. सवाल उठ रहा है कि क्या कांग्रेस की यही नीति है, बिहारियों को बदनाम करो, अपमान करो?
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