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Karnataka MUDA Case: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की मुडा मामले में मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. अब राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने सीएम रमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है. वहीं बीजेपी भी मुडा मामले को लेकर राज्य सरकार पर हमलावर बनी हुई है. बता दें कि कर्नाटक के राज्यपाल ने बीते दिनों मुडा (मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण) के कथित भूमि घोटाले में सीएम के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए कैबिनेट की राय मांगी थी. इसके बाद गुरुवार को मंत्रिपरिषद की बैठक हुई, इस बैठक में राज्यपाल को कारण बताओ नोटिस वापस लेने की सलाह दी गई. वहीं मंत्रिपरिषद ने इसे सरकार को अस्थिर करने की कोशिश बताया.
इसके बाद राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने इस मामले में कानूनी विशेषज्ञों की राय ली. जिसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी. इस मामले में शिकायतकर्ताओं ने मुडा मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17, 19 और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 218 के तहत मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी मांगी थी.
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इस मामले में भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ता टीजे अब्राहम समेत कई अन्य शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया कि मुडा घोटाले में अवैध आवंटन से राज्य के खजाो को 45 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. इसके साथ ही शिकायत में सीएम सिद्धारमैया के अलावा उनकी पत्नी, बेटे और मुडा के आयुक्त के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग भी की.
Karnataka Governor Thaawarchand Gehlot granted permission to the competent authority to prosecute CM Siddaramaiah in alleged MUDA scam: Raj Bhavan
— ANI (@ANI) August 17, 2024
दरअसल, मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण यानी मुडा, कर्नाटक की राज्य स्तरीय विकास एजेंसी है. जिसका काम शहरी विकास को बढ़ावा देना है साथ ही गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे का विकास करने की जिम्मेदारी भी इसी की है. इसके अलावा मुडा लोगों को रियायती दरों पर आवास भी उपलब्ध कराता है.
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वहीं मुडा, शहरी विकास के दौरान अपनी जमीन खोने वाले लोगों के लिए एक योजना लाई. इस योजना को 50:50 नाम दिया गया. इस योजना में जमीन खोने वाले लोग विकसित भूमि के 50 प्रतिशत के हकदार होते थे. इस योजना को पहली बार 2009 में लागू किया गया था. हालांकि 2020 में बीजेपी सरकार ने इस योजना को बंद कर दिया.
वहीं इस मामले में आरोप है कि इस योजना को बंद करने के बाद भी मुडा ने 50-50 योजना के तहत जमीनों का अधिग्रहण किया और उसे आवंटन की किया. यहीं से पूरे विवाद की शुरुआत हुई. इस मामले में राज्य के मुख्यमंत्री रमैया की पत्नी पार्वती को फायदा पहुंचाने का भी आरोप लगा. जिसमें कहा गया कि मुख्यमंत्री की पत्नी की 3 एकड़ और 16 गुंटा भूमि मुडा द्वारा अधिग्रहित की गई.
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इसके बदले में उन्हें एक महंगे इलाके में 14 साइटें आवंटित की गईं. इस जमीन को मैसूर के बाहरी इलाके केसारे में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को उनके भाई मल्लिकार्जुन स्वामी ने 2010 में गिफ्ट के रूप में दिया था. इसके साथ ही ये भी आरोप लगाया गया है कि मुडा ने इस जमीन का अधिग्रहण किए बिना ही देवनूर तृतीय चरण की योजना को विकसित कर दिया.