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Kahani Mig-21 Ki: मिग-21 का नाम तो आपने सुना ही होगा….भारतीय वायुसेना की रीढ़ की हड्डी कहा जाता है इसे. ये रीढ़ की हड्डी अब रिटायर होने वाली है. 26 सितंबर यानी परसो मिग-21 रिटायर हो जाएगा. ये वही जेट है, जिसने 1971 और कारगिल जैसे युद्धों के साथ-साथ कई सारे मिशनों में अहम भूमिका निभाई है. मिग-21 की जगह अब तेजस एलसीए मार्क 1ए को शामिल किया जाएगा.
भारत का पहला सुपरसोनिक जेट था मिग-21
मिग-21 को चंडीगढ़ एयरबेस से रिटायर किया जाएगा. 26 सितंबर के बाद से इसकी सेवाएं आधिकारिक रूप से खत्म हो जाएगी. 1963 में पहली बार मिग-21 भारतीय वायुसेना में शामिल हुआ था. ये भारत का पहला सुपरसोनिक जेट था. यानी आवाज की स्पीड से मिग-21 उड़ सकता था. मिग-21 की दो स्क्वाड्रन ही अब बची है, जो राजस्थान के बीकानेर के नाल एयरबेस में स्थित है. इन्हें नंबर 3 स्क्वाड्रन कोबरा और नंबर 23 स्क्वाड्रन पैंथर्स के नाम से भी जाना जाता है.
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विडो मेकर के नाम से बदनाम है मिग-21
बता दें, 1965 के भारत-पाक युद्ध, 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम और 1999 के कारगिल युद्ध में मिग-21 जेट ने अहम भूमिका निभाई थी. रक्षा मंत्रालय के अनुसार, मिग-21 विमान अब तक 400 से ज्यादा बार क्रैश हुआ है. इसमें 240 से अधिक लोगों की मौत हुई है. मृतकों में पायलट और आम आदमी भी शामिल हैं. मिग-21 के इतने बार क्रैश होने की वजह से ही उसे उड़ता ताबूत या फिर विडो मेकर कहा जाता है.
भारत ने 900 मिग-21 जेट खरीदे थे, अब सिर्फ 36 ही बचे
भारत ने 900 मिग-21 फाइटर जेट खरीदे थे, जिसमें से 660 विमान हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने अपने ही देश में बनाए थे. रिपोर्ट्स की मानें तो भारतीय वायुसेना के बेड़े में वर्तमान में सिर्फ 36 मिग-21 फाइटर जेट ही बचे हैं. दशकों तक विमान ने शानदार सेवाएं दी हैं और भारत को कई मोर्चों पर जीत दिलाई है.
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