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जस्टिस सूर्यकांत ने सोमवार (24 नवंबर) को भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ले ली. उन्होंने जस्टिस बी.आर. गवई की जगह यह पद संभाला है. बता दें कि उनका कार्यकाल 9 फरवरी 2027 तक रहेगा. सुप्रीम कोर्ट में जज रहते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने कई ऐसे फैसले दिए हैं, जिन्होंने भारतीय कानून, लोकतंत्र और नागरिक अधिकारों पर गहरा असर डाला.
10 फरवरी 1962 को हरियाणा के हिसार में जन्मे जस्टिस सूर्यकांत बेहद साधारण परिवार से आते हैं. उन्होंने अपनी वकालत की शुरुआत हिसार में की और बाद में पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में प्रैक्टिस की. 2018 में वे हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने और बाद में सुप्रीम कोर्ट जज नियुक्त हुए. उनकी साफ, सख्त और संवैधानिक सोच के कारण उन्हें देश का सर्वोच्च न्यायिक पद मिला है. तो आइए उनके 9 महत्वपूर्ण और प्रभावशाली फैसलों पर नजर डालते हैं, जिनसे उनकी पहचान और भी मजबूत हुई.
1. आर्टिकल 370 पर ऐतिहासिक फैसला
आपको बता दें कि जस्टिस सूर्यकांत उस पांच सदस्यीय संविधान पीठ का हिस्सा थे जिसने अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले को सही ठहराया. इस फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म हो गया और वह अन्य राज्यों की तरह सामान्य प्रशासनिक ढांचे में शामिल हो गया.
2. राजद्रोह कानून पर रोक
औपनिवेशिक दौर से लागू राजद्रोह कानून (IPC धारा 124A) पर रोक लगाने वाले आदेश में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही. अदालत ने सरकार को निर्देश दिया कि जब तक कानून की समीक्षा नहीं हो जाती, तब तक इस धारा में नई FIR दर्ज न की जाए. इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए महत्वपूर्ण कदम माना गया.
3. पेगासस जासूसी केस
पेगासस जासूसी मामले में भी जस्टिस सूर्यकांत ने अहम भूमिका निभाई. उन्होंने जांच के लिए स्वतंत्र साइबर विशेषज्ञ समिति बनाई और कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर सरकार को जांच से नहीं बचाया जा सकता.
4. बिहार मतदाता सूची की जांच का आदेश
बिहार में मतदाता सूची में हुए बड़े बदलाव पर उन्होंने चुनाव आयोग से विस्तृत आंकड़े और दस्तावेज प्रस्तुत करने को कहा. यह आदेश चुनावी पारदर्शिता और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को मजबूत करने के लिहाज से महत्वपूर्ण रहा.
5. महिला अधिकारों पर बड़ा फैसला
जस्टिस सूर्यकांत ने निर्देश दिया कि देशभर के बार एसोसिएशनों, जिसमें सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन भी शामिल है, में एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हों.
6. महिला सरपंच की बहाली
उन्होंने एक पीठ का नेतृत्व किया जिसने गलत तरीके से पद से हटाई गई महिला सरपंच को वापस पद पर बहाल किया और लैंगिक भेदभाव की कड़ी आलोचना की.
7. पीएम मोदी सुरक्षा चूक की जांच
साल 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पंजाब यात्रा के दौरान हुई सुरक्षा गड़बड़ी पर उन्होंने जांच समिति गठित की. अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में निष्पक्ष और न्यायिक जांच जरूरी है.
8. वन रैंक वन पेंशन (OROP) पर फैसला
जस्टिस सूर्यकांत उस बेंच में शामिल थे जिसने ओआरओपी योजना को संवैधानिक रूप से सही ठहराया और कहा कि यह सैनिकों के सम्मान और अधिकारों से जुड़ा मुद्दा है.
9. राष्ट्रपति-राज्यपाल शक्तियों पर सुनवाई
वे उस संविधान पीठ में भी शामिल हैं जो राज्यपालों और राष्ट्रपति की विधायी शक्तियों की व्याख्या पर सुनवाई कर रही है- इस फैसले का देश की राजनीति पर बड़ा प्रभाव होगा.
जस्टिस सूर्यकांत का न्यायिक सफर न केवल प्रेरणादायक है बल्कि उनकी फैसले समाज, संविधान और न्याय व्यवस्था के बेहद करीब रहे हैं. अब जब वे देश के मुख्य न्यायाधीश बन चुके हैं, उम्मीद है कि न्यायपालिका में पारदर्शिता, संवैधानिक मूल्यों और न्याय की गति में और मजबूती आएगी.
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