लोकसभा में पेश किया जाएगा जन विश्वास संशोधन विधेयक-2025, अपराध-मुक्त हो जाएंगे छोटे-मोटे अपराध

छोटे-मोटे अपराधों को अपराध-मुक्त करने के लिए सरकार सोमवार को लोकसभा में जन विश्वास संशोधन विधेयक-2025 पेश करेगी. जिसका उद्देश्य भरोसा आधारित शासन को बढ़ाना देना और जीवन के साथ व्यापार सुगमता की स्थिति को मजबूत करना है.

छोटे-मोटे अपराधों को अपराध-मुक्त करने के लिए सरकार सोमवार को लोकसभा में जन विश्वास संशोधन विधेयक-2025 पेश करेगी. जिसका उद्देश्य भरोसा आधारित शासन को बढ़ाना देना और जीवन के साथ व्यापार सुगमता की स्थिति को मजबूत करना है.

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Suhel Khan
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Lok Sabha 5 August

संसद का मानसून सत्र जारी Photograph: (Sansad TV)

Jan Vishwas Amendment Bill 2025: संसद का मानसून सत्र जारी है. 21 अगस्त तक चलने वाले मानसून सत्र के अब तक अधिकांश दिन विपक्ष के हंगामे के भेंट चढ़े हैं, लेकिन इस बीच सरकार ने कई अहम बिल भी सदन में पेश किए हैं. सोमवार को केंद्र सरकार एक और महत्वपूर्ण बिल लोकसभा में पेश करेगी. दरअसल, केंद्र सरकार छोटे-मोटे अधिकारों को अपराध-मुक्त करने के लिए सोमवार को लोकसभा में जन विश्वास (संशोधन) विधेयक 2025 पेश करेगी. इस विधेयक के पारित होने के बाद कुछ छोटे अपराधों में सजा के प्रावधान खत्म हो जाएंगे. ये विधेयक का उद्देश्य जीवन और कारोबार को सुगम बनाना है.

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वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल संसद के निचले सदन लोकसभा में इस विधेयक को सोमवार को पेश करेंगे. बता दें कि इस विधेयक में 350 से ज्यादा प्रावधानों में संशोधन करने का प्रस्ताव रखा गया है. इससे देश में व्यवसाय के लिए पहले से अधिक अनुकूल और नागरिक के हितों को लेकर माहौल बनाने में मदद मिलेगी. ये विधेयक से देश के कारोबार को बढ़ावा देने के सरकार की कोशिश का एक हिस्सा है.

183 प्रावधानों को किया गया था अपराधमुक्त

जन विश्वास (संशोधन) विधेयक 2025 का मुख्य उद्देश्य जीवन और कारोबार को सुगम बनाने के लिए विश्वास-आधारित शासन को और मजबूत बनाने के लिए छोटे अपराधों के लिए सजा का प्रावधान खत्म करना और इसे युक्ति संगत बनाने के लिए कुछ नियमों में संशोधन किया जा रहा है. बता दें कि इससे पहले साल 2023 में जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) अधिनियम को पारित किया गया था. जिसके तहत 19 मंत्रालयों और विभागों द्वारा प्रशासित 42 केंद्रीय अधिनियमों के 183 प्रावधानों को अपराध-मुक्त किया गया था.

बता दें कि अपराध-मुक्त का मतलब ये है कि किसी छोट मामले को अपराध की श्रेणी से खत्म कर दिया जाएगा. ऐसे में उस कार्य को करने पर अपराधी को आपराधिक दंड नहीं दिया जाएगा. हालांकि वह कार्य नए कानून आने के बाद भी गैरकानूनी या अवैध माना जाता रहेगा. लेकिन इस अधिनियम के तहत सरकार ने कुछ प्रावधानों को कारावास/या जुर्माने से हटा दिया था. इनमें कुछ नियमों में कारावास को हटा दिया गया था  लेकिन जुर्माने को बरकरार रखा था. हालांकि कुछ मामलों में कारावास और जुर्माने को दंड के रूप में बदल दिया गया था.

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