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इसरो का 101वां मिशन फेल Photograph: (ANI)
ISRO Mission Fail: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने रविवार को अपना 101वां अंतरिक्ष मिशन लॉन्च किया, लेकिन इसरो का ये मिशन लॉन्चिंग के कुछ समय बाद ही फेल हो गया. भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी को अपने इस मिशन में सफलता नहीं मिली. पीएसएलवी रॉकेट अपनी 63वीं लॉन्चिंग में सफल नहीं हो पाया. पीएसएलवी ने ईओएस-9 निगरानी उपग्रह को कक्षा में स्थापित करने के लिए उड़ान भरी थी, लेकिन ये अपने तीसरे चरण में असफल हो गया.
तीसरे चरण में फेल हुआ इसरो का मिशन
इसरो के मुताबिक, चार चरण वाले पीएसएलवी रॉकेट ने अपने शुरुआती दो चरण तो सफलतापूर्वक पूरी कर लिए, लेकिन इसके तीसरे चरण में कुछ गड़बड़ी आ गई, जिससे मिशन पूरा नहीं किया जा सका और ये फेल हो गया. बताया जा रहा है कि पीएलएलवी रॉकेट अपने मिशन कोयह प्रक्षेपण चार चरणों में से तीसरे चरण में दबाव में कमी के कारण विफल हो गया. अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया कि पहले और दूसरे चरण के सफल होने के बाद ठोस ईंधन चरण के दौरान एक असामान्य स्थिति देखी गई.
इसरो के अधिकारियों ने इस मिशन के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सुबह 5.59 बजे PSLV रॉकेट को लॉन्च किया गया. लॉन्च के कुछ मिनट बाद ही पहले और दूसरे चरण में सफलता मिली, लेकिन इसका अगला चरणा जो ठोस ईंधन का चरण था, उसमें एक असामान्य स्थिति देखने को मिली.
#WATCH | Indian Space Research Organisation (ISRO) launches PSLV-C61, which carries the EOS-09 (Earth Observation Satellite-09) into a SSPO orbit, from Sriharikota, Andhra Pradesh.
— ANI (@ANI) May 18, 2025
EOS-09 is a repeat satellite of EOS-04, designed with the mission objective to ensure remote… pic.twitter.com/KpJ52Wge0w
इसरो के अध्यक्ष वी नारायणन ने मिशन के फेल होने के बाद कहा कि वर्कहॉर्स रॉकेट पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) लॉन्च चैंबर प्रेशर में गिरावट के चलते असफल हो गया. इस रॉकेट ने रविवार सुबह 5 बजकर 59 मिनट पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट–9 (EOS-9) को लेकर उड़ान भरी थी. इसरो का ये 101वां मिशन था. जबकि पीएसएलवी रॉकेट की अंतरिक्ष में ये 63वीं उड़ान थी. ईओएस-9 उपग्रह को विभिन्न क्षेत्रों में परिचालन अनुप्रयोगों के लिए निरंतर और विश्वसनीय रिमोट सेंसिंग डेटा प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया था.
जानकारी के मुताबिक, अगर इस सैटेलाइट को पृथ्वी की सतह से 500 किमी ऊपर कक्षा में स्थापित किया जाता तो यह संघर्ष विराम के तुरंत बाद भारत की निगरानी क्षमताओं में बढ़ोतरी करता. जिससे सीमा पार तनाव को कम किया जा सकता था. रॉकेट पीएलएलवी की विफलता की जांच इसरो की आंतरिक विफलता विश्लेषण समिति और सरकार की बाहरी समिति कर सकती हैं. ये रॉकेट चंद्रयान और मंगलयान मिशनों को लॉन्च कर चुका है और ये इसरो का विश्वसनीय रॉकेट है. इस मिशन के फेल होने की रिपोर्ट एक हफ्ते में आने की उम्मीद है.
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