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इसरो ने अंतरिक्ष में फिर रचा इतिहास Photograph: (प्रतीकात्मक फोटो)
ISRO SpaDeX: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक बार फिर से इतिहास रच दिया. दरअसल, गुरुवार को इसरो ने स्पेस डॉकिंग एक्सरसाइज मिशन (SpaDeX) के जुड़े दो सैटेलाइट की अंतरिक्ष में डॉकिंग प्रक्रिया को पूरा कर लिया. इस प्रक्रिया में सफलता के साथ ही भारत उन चार देशों की सूची में शामिल हो गया. जिनके पास अंतरिक्ष में दो उपग्रहों को डॉक करने की तकनीकी उपलब्ध है. बता दें कि अब तक सिर्फ अमेरिका, रूस और चीन के पास ये तकनीकी उपलब्ध थी. लेकिन अब इस सूची में भारत भी शामिल हो गया है.
इसरो ने किया ट्वीट
स्पाडेक्स मिशन में मिली सफलता को लेकर इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक ट्वीट किया. जिसमें इसरो ने लिखा, "भारत ने अंतरिक्ष इतिहास में अपना नाम दर्ज कर लिया है. सुप्रभात भारत, इसरो के स्पेडेक्स मिशन ने 'डॉकिंग' में ऐतिहासिक सफलता हासिल की है. इस क्षण का गवाह बनकर गर्व महसूस हो रहा है."
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SpaDeX Docking Update:
— ISRO (@isro) January 16, 2025
Post docking, control of two satellites as a single object is successful.
Undocking and power transfer checks to follow in coming days.
#SPADEX#ISRO
दो बार नहीं मिली डॉकिंग में सफलता
बता दें कि इसरो ने इससे पहले भी दो बार डॉकिंग की कोशिश की लेकिन उसमें तकनीकी समस्याओं के चलते सफलता नहीं मिली. इसरो 7 और 9 जनवरी को दो बार डॉकिंग की कोशिश की थी. उसके बाद 12 जनवरी को भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने सैटेलाइट को 15 मीटर और 3 मीटर की दूरी तक लाने में सफलता हासिल कर ली थी. उसके बाद इसरो ने कहा था कि, "15 मीटर और फिर 3 मीटर तक की दूरी को सफलतापूर्वक तय कर लिया गया. इसके बाद सैटेलाइट्स को सुरक्षित दूरी पर ले जाया गया. डेटा का विश्लेषण करने के बाद डॉकिंग प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा."
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SpaDeX Docking Update:
— ISRO (@isro) January 16, 2025
🌟Docking Success
Spacecraft docking successfully completed! A historic moment.
Let’s walk through the SpaDeX docking process:
Manoeuvre from 15m to 3m hold point completed. Docking initiated with precision, leading to successful spacecraft capture.…
जानें क्यों अहम है इसरो का स्पाडेक्स मिशन
बता दें कि इसरो ने अपने स्पाडेक्स मिशन को पिछले साल 30 दिसंबर को लॉन्च किया था. इस मिशन में दो छोटे सैटेलाइट- SDX01 (चेसर) और SDX02 (टारगेट) को पृथ्वी की निम्न कक्षा में स्थापित किया गया. इस मिशन का उद्देश्य भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए डॉकिंग तकनीक का प्रदर्शन करना है. जिससे इस तकनीकी के माध्यम से अन्य मिशन को सफल बनाया जा सके.
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बता दें कि डॉकिंग तकनीक की जरूरत चंद्रयान-4 जैसे मिशनों में पड़ेगी. जिसमें चंद्रमा के सैंपल को पृथ्वी पर वापस लाया जा सके. इसके अलावा, भारत के अंतरिक्ष स्टेशन 'भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन' की स्थापना के लिए भी यह तकनीक काफी अहम है. बता दें कि भारत 2028 में अपना खुद का अंतरिक्ष स्टेशन लॉन्च करने की दिशा में काम कर रहा है.