Indus Water Treaty: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीकानेर की रैली में पाकिस्तान को स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा, “अगर पाकिस्तान भारतियों के खून से खेलेगा तो पाकिस्तान को भारत का पानी भी नहीं मिलेगा.” यह बयान इस बात का संकेत है कि भारत अब इंडस वाटर ट्रीटी (सिंधु जल संधि) को लेकर नया रुख अपना चुका है. पीएम मोदी ने साफ़ कर दिया कि ऑपरेशन सिंदूर अभी खत्म नहीं हुआ, वो सिर्फ रुका है.
1960 की वह संधि जो अब बोझ लगने लगी है
1960 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के बीच सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर हुए थे. इस संधि के तहत भारत ने तीन प्रमुख पश्चिमी नदियों सिंधु, झेलम और चिनाब का बहाव पाकिस्तान को दे दिया.
संधि को लेकर बताया अन्याय
इस समझौते को लेकर वर्षों से भारत में आलोचना होती रही है. RSS और कई नेताओं का मानना है कि यह संधि भारत के साथ अन्याय थी. अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी जैसे नेताओं ने इसे आतंकवादी हमलों के बाद समाप्त करने की बात कही थी.
“खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते”
2016 के उरी हमले और 2019 के पुलवामा हमले के बाद भारत ने इस संधि पर पुनर्विचार शुरू किया गया था लेकिन उस वक्त कोई फैसला नहीं लिया गया. पिछले महीने 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने इंडस वाटर ट्रीटी को “अस्थायी रूप से रोकने” का फैसला किया. पीएम मोदी ने तब कहा था, “खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते.”
पाकिस्तान की बौखलाहट और धमकियां
भारत के इस रुख पर पाकिस्तान में घबराहट साफ देखी जा सकती है. पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता DG ISPR ने बयान दिया, “अगर तुम हमारा पानी बंद करोगे, तो हम तुम्हारी सांसें बंद कर देंगे.” इस बयान की भाषा वही है जो पहले हाफिज सईद जैसे आतंकियों से सुनी जाती थी.
90% खेती सिंधु जल पर निर्भर
पाकिस्तानी सांसद सैयद अली ज़फ़र ने चेतावनी दी है. “अगर जल संकट का समाधान नहीं किया गया, तो पाकिस्तान भूखा मरेगा.” बता दें कि पाकिस्तान की 90% फसलें और पीने का पानी सिंधु नदी प्रणाली पर निर्भर है. किसानों और विपक्षी दलों का जबरदस्त दबाव अब पाक सरकार पर है.
पहलगाम आतंकी हमले के बाद सिंधू को लेकर नई रणनीति
भारत ने अब पानी को केवल संसाधन नहीं, रणनीतिक हथियार मानकर परियोजनाओं पर तेजी से काम शुरू कर दिया है.
1. किशनगंगा प्रोजेक्ट
- झेलम की सहायक नदी से पानी को 23 किलोमीटर लंबी सुरंग से डायवर्ट किया गया.
- इससे पाकिस्तान में जल बहाव पर सीधा असर पड़ेगा.
2. पाकल डुल डैम
- चिनाब की सहायक नदी पर बन रहा है.
- 167 मीटर ऊंचा यह बांध जम्मू-कश्मीर का पहला स्टोरेज डैम होगा.
- 2026 तक पूरा होने की उम्मीद.
3. रैटल प्रोजेक्ट
- चिनाब नदी पर 850 मेगावाट क्षमता वाली परियोजना.
- यह पानी को नियंत्रित करने की दिशा में अहम कदम है.
जब चाहो रोको और जब चाहो बहाओ
अब भारत पर कोई कानूनी बाध्यता नहीं है कि वह पाकिस्तान को बताए कि पानी कब रोका जाएगा और कब छोड़ा जाएगा. इस रणनीति से पाकिस्तान में बाढ़ और सूखा दोनों की अनिश्चितता बनी रहेगी, जो कि भारत को रणनीतिक बढ़त दिलाता है.
भारत-पाक जल संघर्ष का निर्णायक साल?
2026 कई भारतीय जल परियोजनाओं की समाप्ति की डेडलाइन है. यही साल भारत-पाक रिश्तों में टर्निंग पॉइंट साबित हो सकता है. भारत अब पानी को कूटनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है और पाकिस्तान के लिए आने वाले साल जल संकट और अस्थिरता से भरे हो सकते हैं.
पाकिस्तान के पास कोई ऑप्शन नहीं?
प्रधानमंत्री मोदी का संदेश साफ है, “जो देश भारत के खिलाफ खून बहाता है, वो भारत के पानी का हकदार नहीं हो सकता.” अब भारत नदियों के बहाव से अपना कूटनीतिक दबदबा स्थापित कर रहा है. और आने वाले सालों में पाकिस्तान को भूख, सूखा और विद्रोह जैसे संकटों से जूझना पड़ सकता है.
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