पाकिस्तान और सउदी अरब के बीच हुए समझौते को लेकर क्या है भारत का रुख, खुद एमईए ने किया साफ

सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच हाल ही में एक ऐतिहासिक सैन्य समझौता हुआ है. इस समझौते के तहत दोनों में से किसी भी देश पर किसी अन्य देश ने अगर कोई हमला किया तो उसे दोनों देशों पर हमला माना जाएगा.

सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच हाल ही में एक ऐतिहासिक सैन्य समझौता हुआ है. इस समझौते के तहत दोनों में से किसी भी देश पर किसी अन्य देश ने अगर कोई हमला किया तो उसे दोनों देशों पर हमला माना जाएगा.

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Dheeraj Sharma
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India Reaction on Pakistan Saudi Defence Deal

सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच हाल ही में एक ऐतिहासिक सैन्य समझौता हुआ है. इस समझौता नाटो जैसी संरचना का संकेत भी देता है. दरअसल  इस समझौते के तहत दोनों में से किसी भी देश पर किसी अन्य देश ने अगर कोई हमला किया तो उसे दोनों देशों पर हमला माना जाएगा. जी हां जैसा ही नाटो में शामिल देशों के लिए नियम है. यह दोनों देशों के बीच सामरिक संबंधों को और मजबूत बनाता है, खासकर डिफेंस कोऑपरेशन और इंटेलिजेंस शेयरिंग के संदर्भ में भी ये महत्वपूर्ण है.  बता दें कि यह समझौता सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की उपस्थिति में रियाद में साइन किया गया. लेकिन भारत इस समझौते को कैसे देखता है इसको लेकर एमईए की ओर से प्रतिक्रिया आई है. 

सुरक्षा और शांति की दुहाई

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पाक और सऊदी की ओर से एक संयुक्त बयान में कहा गया है कि यह समझौता न सिर्फ दोनों देशों की सुरक्षा को सुदृढ़ करेगा, बल्कि विश्व शांति और स्थिरता को भी बढ़ावा देगा. इसमें आतंकवाद से लड़ने, सैन्य ट्रेनिंग, तकनीकी सहयोग और संयुक्त अभ्यास शामिल होंगे.  इसके अलावा, रक्षा उद्योग में संयुक्त निवेश की संभावनाएं भी तलाशी जाएंगी. 

इस डील पर भारत का क्या है रिएक्शन

भारत ने इस नए गठबंधन पर नजर रखते हुए संतुलित प्रतिक्रिया दी है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत को इस घटनाक्रम की पहले से जानकारी थी. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत अब इस समझौते के राष्ट्रीय सुरक्षा, क्षेत्रीय संतुलन और वैश्विक स्थिरता पर प्रभावों का गंभीरता से अध्ययन करेगा. 

भारत ने यह भी दोहराया कि वह अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक हितों की रक्षा के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है. सरकार इस मामले पर रिसर्च करेगी और संभावित खतरों व अवसरों का मूल्यांकन करेगी. 

क्या हो सकते हैं प्रभाव?

जानकारों की मानें तो यह समझौता भारत के लिए कूटनीतिक और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है. पाकिस्तान को एक मजबूत अरब समर्थन मिलने का संकेत इससे मिलता है, जो दक्षिण एशिया की शक्ति संतुलन पर असर डाल सकता है. वहीं, भारत और सऊदी अरब के भी घनिष्ठ आर्थिक और रक्षा संबंध रहे हैं, ऐसे में भारत इस घटनाक्रम को सतर्कता से देख रहा है. 

सऊदी अरब और पाकिस्तान का यह समझौता केवल द्विपक्षीय सुरक्षा तक सीमित नहीं, बल्कि क्षेत्रीय राजनीति और सामरिक समीकरणों पर भी गहरा असर डाल सकता है.  भारत की रणनीति अब इस गठजोड़ से जुड़े अर्थ को समझने और अपने हितों की रक्षा करने पर फोकस्ड होगी. 

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