Operation Sindoor: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में दावा किया था कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम समझौते को मध्यस्थता करके परमाणु युद्ध टालने में मदद की. लेकिन भारत ने इस दावे को स्पष्ट रूप से खारिज करते हुए कहा कि इस युद्धविराम समझौते में अमेरिका की कोई भूमिका नहीं थी.
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सोमवार को एक संसदीय समिति को बताया कि पाकिस्तान से किसी भी प्रकार के परमाणु हमले का कोई संकेत नहीं था और अमेरिकी हस्तक्षेप के बिना ही यह समझौता हुआ था.
मिस्री के मुताबिक, पाकिस्तान ने ही युद्धविराम की अपील की थी, और पाकिस्तानी सेना के डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMO) ने भारतीय समकक्ष से सीधे संपर्क किया था. भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंधूर के दौरान किसी भी तीसरे पक्ष की मदद नहीं ली गई थी.
ट्रंप के दावे पर भारत की प्रतिक्रिया
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रूथ सोशल' पर पोस्ट करते हुए कहा था, "लंबी रात की बातचीत के बाद, मैं यह घोषणा करने में खुशी महसूस करता हूं कि भारत और पाकिस्तान ने पूरी तरह से और तुरंत युद्धविराम का समझौता किया." उन्होंने यह भी कहा था कि इस समझौते से "न्यूक्लियर वॉर" टल गया. लेकिन भारत ने ट्रंप के दावे को सिरे से नकारते हुए कहा था कि यह युद्धविराम सिर्फ भारतीय और पाकिस्तानी सेनाओं के बीच हुई बातचीत का नतीजा था, न कि किसी तीसरे पक्ष की दखलअंदाजी से.
ऑपरेशन सिंधूर और पाकिस्तानी हमले का सिलसिला
7 मई को भारत ने ऑपरेशन सिंधूर के तहत आतंकवादी ढांचों पर हमला किया था, जो 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब था, जिसमें 26 लोग मारे गए थे. इसके बाद, पाकिस्तान ने 8, 9 और 10 मई को भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमले की कोशिश की, जिसे भारतीय बलों ने सख्ती से नाकाम कर दिया. आखिर में 10 मई को दोनों देशों ने युद्धविराम पर सहमति जताई.
प्रधानमंत्री मोदी का बयान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑपरेशन सिंधूर के बाद देश को संबोधित करते हुए कहा था कि भारत पाकिस्तान से सिर्फ दो मुद्दों पर बात करेगा, आतंकवाद और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) की वापसी. उन्होंने सामान्य कूटनीतिक संवाद की संभावना को पूरी तरह से नकारा किया.
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