स्क्रैमजेट इंजन के सफल ग्राउंड टेस्ट के साथ हाइपरसोनिक मिसाइलों के क्षेत्र में भारत ने लहराया परचम

रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला ने स्वदेशी तकनीक से एक नई सफलता पाई है, 120 सेकंड के लिए पहली बार एक्टिव कूल्ड स्क्रैमजेट कम्बस्टर का ग्राउंड टेस्ट सफलतापूर्वक किया

Mohit Saxena & Madhurendra Kumar
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स्क्रैमजेट इंजन (DRDO)

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन  के हैदराबाद स्थित रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला ने स्वदेशी तकनीक से एक नई सफलता हासिल की है. DRDL ने पहली बार 120 सेकंड के लिए एक्टिव कूल्ड स्क्रैमजेट कम्बस्टर का ग्राउंड टेस्ट सफलतापूर्वक किया. यह उपलब्धि भारत में अगली पीढ़ी की हाइपरसोनिक मिसाइलों के विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है.

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हाइपरसोनिक तकनीक में भारत की बड़ी छलांग

हाइपरसोनिक मिसाइलें उन उन्नत हथियारों की श्रेणी में आती हैं, जो ध्वनि की गति से पांच गुना तेज़, यानी 5,400 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की गति से यात्रा करती हैं. इस तकनीक का मुख्य आधार स्क्रैमजेट इंजन है, जो बिना किसी गतिशील भाग के सुपरसोनिक गति पर स्थायी दहन को बनाए रखने में सक्षम होता है.

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इस ग्राउंड टेस्ट में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां सामने आईं. इसमें सफल इग्निशन और स्थिर दहन जैसी विशेषताएं शामिल थीं. स्क्रैमजेट इंजन में इग्निशन को एक तूफान में मोमबत्ती जलाने जैसा कठिन कार्य माना जाता है. इसे संभव बनाने के लिए DRDL ने एक अभिनव फ्लेम स्टेबलाइजेशन तकनीक का विकास किया है, जो 1.5 किलोमीटर प्रति सेकंड से अधिक की हवा की गति में निरंतर लौ बनाए रखती है.

स्वदेशी ईंधन और अत्याधुनिक तकनीक

इस परियोजना में DRDL और उद्योग ने पहली बार स्वदेशी एंडोथर्मिक स्क्रैमजेट ईंधन विकसित किया है. यह ईंधन बेहतर कूलिंग और आसान इग्निशन के दोहरे लाभ प्रदान करता है. इसके अलावा, DRDO ने उच्च तापमान सहन करने में सक्षम नई थर्मल बैरियर कोटिंग (TBC) भी विकसित की है. यह उन्नत सिरेमिक TBC स्टील के पिघलने के तापमान से भी अधिक पर काम कर सकती है.

रक्षा मंत्री और DRDO अध्यक्ष की सराहना

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने DRDO और उद्योग जगत को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी. उन्होंने कहा, "यह उपलब्धि अगली पीढ़ी की हाइपरसोनिक मिसाइलों के विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है."

DRDO के अध्यक्ष और रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव डॉ. समीर वी. कामत ने DRDL और उद्योग के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि यह सफलता स्थिर दहन, उन्नत प्रदर्शन और थर्मल प्रबंधन में भारत की क्षमताओं को दर्शाती है.

आत्मनिर्भर भारत की ओर एक और कदम

आजादी का अमृत महोत्सव के तहत यह उपलब्धि भारत की स्वदेशी तकनीक के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को और मजबूती प्रदान करती है. DRDO का यह प्रयास देश को हाइपरसोनिक हथियारों की दौड़ में एक अग्रणी स्थान दिलाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.

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