जब आप सुबह दंतकांति से ब्रश करते हैं, या अपने बालों में पतंजलि का शैम्पू लगाते हैं, तब आप सिर्फ अपनी सेहत का नहीं, बल्कि देश की जरूरतमंद ज़िंदगियों का भी ख्याल रख रहे होते हैं. पतंजलि योगपीठ की “आपका पैसा, देश का विकास” पहल अब ज़मीनी सच्चाइयों में बदल चुकी है.
दंतकांति से बच्चों का बन रहा भविष्य
छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में एक नया गुरुकुल स्कूल खुला है, जो पूरी तरह से पतंजलि उत्पादों की बिक्री से मिली आमदनी पर आधारित है. स्कूल में 300 से अधिक आदिवासी बच्चे अब वैदिक शिक्षा के साथ-साथ आधुनिक विज्ञान भी पढ़ रहे हैं.
शैम्पू से ICU बेड का खर्च
हरिद्वार के निकट स्थित पतंजलि चैरिटेबल अस्पताल में हाल ही में 10 नए ICU बेड लगाए गए हैं. इनका खर्च पतंजलि शैम्पू और सौंदर्य उत्पादों की बिक्री से निकाला गया है. अब दूर-दराज़ से आने वाले रोगियों को जीवनदायिनी सुविधा मिल रही है.
च्यवनप्राश से आई घर में रोशनी
उत्तराखंड के एक छोटे से गांव में पतंजलि द्वारा संचालित वैदिक स्कूल में बिजली की व्यवस्था च्यवनप्राश की बिक्री से हुई है. अब विद्यार्थी रात में भी पढ़ाई कर पा रहे हैं.
घरेलू उत्पाद और राष्ट्रीय प्रभाव
पतंजलि के प्रवक्ता का कहना है, “हर खरीदार एक दाता है. जब आप पतंजलि का कोई भी उत्पाद खरीदते हैं, तो वो सीधे देश के पुनर्निर्माण में लगते हैं. हमारा उद्देश्य सिर्फ व्यापार नहीं, समाज का उत्थान है.” यह सीरीज़ “आपका पैसा कहां जाता है” इस बात को प्रमाणित करती है कि आत्मनिर्भर भारत का सपना, आपके रोज़मर्रा के फैसलों से जुड़ा है. तो अगली बार जब आप पतंजलि का साबुन उठाएं, याद रखिए आप सिर्फ अपने लिए नहीं, किसी और के बेहतर कल के लिए भी चुन रहे हैं.
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