कितना खतरनाक होता है परमाणु बम, कहीं गिर जाएगा तो कितनी होगी बर्बादी?

क्या आपने कभी जानने की कोशिश की, ये परमाणू बम कितना डेंजर होता है. अगर नहीं हो तो आज हम आपको इस खबर में बताएंगे कि ये बम कहीं गिर जाए तो क्या होगा?

क्या आपने कभी जानने की कोशिश की, ये परमाणू बम कितना डेंजर होता है. अगर नहीं हो तो आज हम आपको इस खबर में बताएंगे कि ये बम कहीं गिर जाए तो क्या होगा?

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Ravi Prashant
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कितना होता है बम खतरनाक Photograph: (YT)

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान आमने-सामने आ गए हैं. भारत कभी भी पाकिस्तान पर हमला कर सकता है. ऐसे में पाकिस्तान के अंदर डर का माहौल देखा जा रहा है. वहीं पाकिस्तान ने हमेशा की तरह परमाणु बम फेंकने की बात कही है. तो आज हम जानेंगे कि परमाणु बम कितना खतरनाक हो सकता है.

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कितना खतरनाक होता है परमाणु बम?

परमाणु बम को दुनिया का सबसे खतरनाक हथियार माना जाता है, जो न सिर्फ लाखों लोगों की जान ले सकता है, बल्कि पीढ़ियों तक असर छोड़ सकता है. यह बम यूरेनियम या प्लूटोनियम जैसे रेडियोधर्मी तत्वों के विखंडन (fission) पर आधारित होता है, जिससे अत्यधिक ऊर्जा, गर्मी, प्रकाश और घातक रेडिएशन उत्पन्न होता है.

अगर कोई मध्यम आकार का परमाणु बम, जैसे कि 15 किलोटन क्षमता वाला जो 1945 में हिरोशिमा पर गिराया गया था. किसी घनी आबादी वाले शहर पर गिरता है, तो उसके परिणाम विनाशकारी होंगे. उदाहरण के लिए, अगर ऐसा बम लाहौर, कराची या मुजफ्फराबाद जैसे बड़े शहर में गिरता है, तो तत्काल प्रभाव में ही लाखों लोग मारे जा सकते हैं. विस्फोट के केंद्र से कुछ किलोमीटर के दायरे में सब कुछ जलकर राख हो जाएगा. बिल्डिंग्स, वाहन, इंसान, पेड़-पौधे.

  • तत्काल धमाका (Blast Effect): विस्फोट के पहले कुछ सेकंड में ही उच्च तापमान और दबाव से पूरी इमारतें ध्वस्त हो जाती हैं.
  • गर्मी (Thermal Radiation): तापमान इतना ज्यादा होता है कि 2-3 किमी दूर तक त्वचा जल सकती है.
  • रेडिएशन (Nuclear Radiation): घातक न्यूट्रॉन और गामा किरणें शरीर के अंदर तक असर करती हैं, जिससे तत्काल या धीमी मृत्यु हो सकती है.
  • परमाणु वर्षा (Fallout): हवा के जरिए रेडियोधर्मी कण दूर-दूर तक फैल जाते हैं, जिससे कैंसर, जन्म दोष और अन्य बीमारियाँ हो सकती हैं.

परमाणु बम सिर्फ एक क्षण का विनाश नहीं लाता, बल्कि इसके रेडिएशन का असर दशकों तक रहता है. मिट्टी, पानी, हवा सभी प्रदूषित हो जाते हैं. हिरोशिमा और नागासाकी में आज भी लोग इसके प्रभावों से जूझ रहे हैं. परमाणु बम किसी भी देश या समाज के लिए सिर्फ खतरा नहीं, बल्कि अस्तित्व का संकट बन सकता है. यही कारण है कि आज दुनिया भर में ‘न्यूक्लियर नॉन-प्रोलिफरेशन ट्रीटी’ (NPT) जैसी संधियों के जरिए इसे रोकने की कोशिश की जा रही है.

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