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गार्जियनशिप मामला: दिल्ली उच्च न्यायालय ने बच्चे के कल्याण की पुष्टि करते हुए स्कूल स्थानांतरण याचिका खारिज की

गार्जियनशिप मामला: दिल्ली उच्च न्यायालय ने बच्चे के कल्याण की पुष्टि करते हुए स्कूल स्थानांतरण याचिका खारिज की

Updated on: 30 Nov 2023, 04:00 PM

नई दिल्ली:

दिल्ली उच्च न्यायालय ने पारिवारिक अदालत के आदेश को बरकरार रखते हुए अपने बच्चे को कथित तौर पर बेहतर स्कूल में स्थानांतरित करने की मांग करने वाली एक पिता की याचिका को खारिज कर दिया है और कहा है कि गार्जियनशिप मामलों में बच्चे का कल्याण सर्वोपरि महत्व रखता है।

न्यायमूर्ति वी. कामेश्वर राव और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि पिता द्वारा सुझाया गया स्कूल 20 किलोमीटर दूर द्वारका में है, जबकि बच्चा अपनी मां के साथ पीतमपुरा में रहता है।

अदालत ने कहा कि अपीलकर्ता के पक्ष में आदेश देने से सात वर्षीय बच्चे को असुविधा होगी और इसलिए इसे मंजूरी नहीं दी जा सकती।

पिता ने पारिवारिक अदालत के आदेश को चुनौती दी थी जिसने बच्चे की मां को बच्चे को द्वारका स्कूल में दाखिला दिलाने का निर्देश देने के उनके आवेदन को खारिज कर दिया।

पारिवारिक अदालत ने अपने फ़ैसले में प्रस्तावित स्कूल की रेटिंग थोड़ी बेहतर होने की बात तो मानी लेकिन कहा कि बच्चा पहले ही पीतमपुरा के मौजूदा स्कूल से सामञ्जस्य बिठा चुका है।

माँ के साथ जाने और आने की सुविधा और निरंतर निगरानी को देखते हुए, बच्चे को वापस द्वारका स्कूल में स्थानांतरित करना उसके सीखने के माहौल के लिए संभावित रूप से हानिकारक माना गया।

अपीलकर्ता ने पीतमपुरा और द्वारका के बीच निजी परिवहन की व्यवस्था करने की पेशकश की, लेकिन अदालत ने रोहिणी में एक शाखा के बारे में मां के प्रतिवाद पर विचार करते हुए पारिवारिक अदालत के फैसले को पलटने का कोई औचित्य नहीं पाया।

प्रतिवादी-मां ने अपीलकर्ता को सुझाव दिया कि यदि वह बच्चे को सुझाए गए स्कूल में भेजना चाहता है तो रोहिणी शाखा में प्रवेश की व्यवस्था करे।

इस संदर्भ में, अदालत को पारिवारिक अदालत के आदेश में हस्तक्षेप का कोई आधार नजर नहीं आया।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.