पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग (डब्ल्यूबीएचआरसी) के एक सदस्य की नियुक्ति को लेकर बंगाल राजभवन और राज्य सचिवालय के बीच ताजा खींचतान बढ़ती दिख रही है।
सूत्रों ने बताया कि राज्य सचिवालय से एक फाइल राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस के कार्यालय को भेजी गई थी, जिसमें पिछले सोमवार को सेवानिवृत्त भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी और पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय की मानवाधिकार आयोग के सदस्य के रूप में नियुक्ति नियुक्ति के संबंध में मंजूरी मांगी गई थी।
हालांकि राजभवन की ओर से अब तक फाइल को मंजूरी नहीं दी गई है।
बंद्योपाध्याय की नियुक्ति के फैसले को पिछले महीने राज्य सचिवालय में एक बैठक में मंजूरी दी गई थी। पूर्व सदस्य नपराजित मुखोपाध्याय, एक सेवानिवृत्त भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी और राज्य पुलिस के पूर्व महानिदेशक का कार्यकाल समाप्त होने के बाद यह नियुक्ति अनिवार्य हो गई थी।
आमंत्रित किए जाने के बावजूद नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने बंद्योपाध्याय की नियुक्ति पर आपत्ति जताते हुए उस बैठक का बहिष्कार किया।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा, “बंद्योपाध्याय मुख्यमंत्री के चहेते उम्मीदवार हैं। वास्तव में उनकी सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें राज्य मुख्य सूचना आयुक्त का पद मिला था और अब एक बार फिर उन्हें डब्ल्यूबीएचआरसी के सदस्य के रूप में बहाल करने की योजना बनाई जा रही है।”
डब्ल्यूबीएचआरसी सदस्य की नियुक्ति पर अनिश्चितता ने गवर्नर हाउस और राज्य सचिवालय के बीच गंभीर मतभेद उभर आआया है, खासकर राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों के लिए अंतरिम कुलपतियों की नियुक्ति के मुद्दे पर।
उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली में ईडी और सीएपीएफ कर्मियों पर हाल ही में हुए हमले ने राजभवन-राज्य सचिवालय के बीच दरार को और बढ़ा दिया है और राज्यपाल ने कहा है कि वह संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई करेंगे।
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Source : IANS