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चीनी घोटालेबाज ऋण चाहने वाले भारतीयों का करते हैं शोषण, लाखों का लगाते हैं चूना: रिपोर्ट

चीनी घोटालेबाज ऋण चाहने वाले भारतीयों का करते हैं शोषण, लाखों का लगाते हैं चूना: रिपोर्ट

Updated on: 20 Oct 2023, 08:55 PM

नई दिल्ली:

साइबर सुरक्षा शोधकर्ताओं ने पाया है कि चीनी घोटालेबाज भारत में हजारों पीड़ितों को पर्याप्त ऋण और आसान पुनर्भुगतान के झूठे वादे के साथ लुभाने के लिए अवैध तत्काल ऋण ऐप्स का उपयोग कर रहे हैं। शुक्रवार को जारी एक नई रिपोर्ट में यह बात कही गई है।

ये घोटालेबाज व्यक्तिगत जानकारी और शुल्क लेकर गायब हो जाते हैं।

साइबर सुरक्षा कंपनी क्‍लाउडसेक के अनुसार, ये घोटालेबाज चीनी भुगतान गेटवे और भारतीय मनी म्यूल्स का उपयोग करके कानून प्रवर्तन एजेंसियों की कार्रवाई से बच रहे हैं।

क्लाउडएसईके के वरिष्ठ सुरक्षा विश्लेषक स्पर्श कुलश्रेष्ठ ने कहा, एक उल्लेखनीय प्रवृत्ति जो हमने देखी है वह यह है कि घोटालेबाज चीनी भुगतान गेटवे का उपयोग करते हैं जिनका इस्‍तेमाल आसान और नियामक जांच सीमित होती है। ये गेटवे भारत के बाहर धन पहुंचाने के लिए एक सुविधाजनक रास्‍ता प्रदान करते हैं, परिष्कृत तकनीकों का लाभ उठाते हैं जो क्षेत्राधिकार की सीमाओं को धूमिल कर देते हैं, जिससे पैसे के लेन-देन को ट्रैक करना और रोकना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।

यह पड़ताल 8 सितंबर को शुरू हुई, जब शोधकर्ताओं ने पाया कि साइबर अपराधी 230 लाख डॉलर के कथित राजस्व के साथ तमिलनाडु में मुख्यालय वाले एक प्रमुख बैंक का प्रतिरूपण करते हुए एक दुर्भावनापूर्ण ऐप का विज्ञापन कर रहे हैं।

जुलाई से सितंबर तक साइबर अपराधियों ने फर्जी चीनी पेमेंट गेटवे के जरिए खुद को बैंक बताकर करीब 37 लाख रुपये जुटाए।

रिपोर्ट में पाया गया कि 55 से अधिक हानिकारक एंड्रॉइड ऐप्स विभिन्न चैनलों के माध्यम से वितरित किए गए हैं।

शोधकर्ताओं ने इस धोखाधड़ी योजना में शामिल चीनी व्यक्तियों द्वारा संचालित 15 से अधिक भुगतान गेटवे की पहचान की।

रिपोर्ट के अनुसार, चीनी व्यक्ति इंडोनेशिया, मलेशिया, दक्षिण अफ्रीका, मैक्सिको, ब्राजील, तुर्की, वियतनाम, फिलीपींस और कोलंबिया सहित कई देशों में इन धोखाधड़ी वाले भुगतान गेटवे का संचालन करते हैं।

चीनी स्कैमर्स के तौर-तरीकों में फर्जी इंस्टेंट लोन ऐप्स बनाना, अवैध ऐप्स को बढ़ावा देना, व्यक्तिगत जानकारी और प्रोसेसिंग शुल्क भुगतान की मांग करना और फिर भुगतान के बाद गायब हो जाना शामिल है।

शोधकर्ताओं ने वित्तीय संस्थानों, नियामक अधिकारियों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों सहित सभी हितधारकों से सतर्क रहने और भारत के डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र के लिए इस बढ़ते खतरे से निपटने के लिए मिलकर काम करने का आग्रह किया।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.