कलकत्ता उच्च न्यायालय की एकल-न्यायाधीश पीठ ने बुधवार को सुपर-न्यूमेरिक पदों की सूची में हटाए गए उम्मीदवारों के नाम शामिल करने के पीछे पश्चिम बंगाल सरकार के तर्क पर सवाल उठाया।
अदालत के आदेश पर कई शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त करने के बाद सुपर-न्यूमेरिक पद सृजित किए गए थे।
राज्य सरकार के वकील ने बुधवार को न्यायमूर्ति बिस्वजीत बसु की एकल-न्यायाधीश पीठ को सूचित किया कि प्रतीक्षा सूची में उम्मीदवारों को समायोजित करने के लिए सुपर-न्यूमेरिक पद बनाए गए थे।
हालांकि, न्यायाधीश ने बताया कि राज्य सरकार की अधिसूचना में कहा गया था कि प्रतीक्षा सूची वाले उम्मीदवारों के अलावा, समाप्त किए गए उम्मीदवारों के नाम भी सुपर-न्यूमेरिक सूची में शामिल किए जाने चाहिए।
न्यायमूर्ति बसु ने यह भी पूछा कि इस समावेशन के लिए किसकी अनुमति की जरूरत है।
उन्होंने राज्य सरकार को 12 फरवरी तक हलफनामे के रूप में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
पिछले साल जून में राज्य शिक्षा विभाग को राज्य संचालित स्कूलों में सुपर-न्यूमेरिक शिक्षण पद सृजित करने के अपने फैसले पर न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की एकल-न्यायाधीश पीठ की नाराजगी का सामना करना पड़ा था।
राज्य के शिक्षा सचिव ने तब अदालत में स्वीकार किया कि सुपर-न्यूमेरिक पदों को लेकर निर्णय राज्य सरकार द्वारा लिया गया था।
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Source : IANS