डेरा इस्माइल खान (डीआईके) जिले में सोमवार को हुए घातक आत्मघाती हमले में पाकिस्तानी सुरक्षा बलों के दो दर्जन से अधिक जवानों के शहीद होने के बाद बलूचिस्तान प्रांत के अंतरिम सूचना मंत्री जान अचकजई ने अमेरिका को ड्रोन बेस बनाने की पेशकश करने का प्रस्ताव दिया है, ताकि अफगानिस्तान से पैदा होने वाले आतंकवाद के खतरे का मुकाबला किया जा सके।
अचकजई के कथित प्रस्ताव ने कई लोगों की भौंहें चढ़ा दी हैं, क्योंकि ड्रोन हमलों की एक लंबी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि रही है, जिसमें विभिन्न पाकिस्तानी सरकारों ने उन्हें प्रति-उत्पादक करार दिया था।
लेकिन अचकजई कुछ और ही सोचते हैं, क्योंकि उन्होंने 12 दिसंबर के हमले पर अपना गुस्सा व्यक्त किया था, जिसमें खैबर-पख्तूनख्वा के डेरा इस्माइल खान जिले में आतंकवादियों ने एक विस्फोटक से भरे ट्रक को एक सुरक्षा चौकी से टकराकर कम से कम 24 सैनिकों की जान ले ली थी।
सेना की मीडिया शाखा, इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) ने एक बयान में हमले की पुष्टि करते हुए कहा, आतंकवादियों ने प्रवेश पाने के उनके प्रयासों को प्रभावी ढंग से विफल करने के बाद वाहन को टक्कर मार दी।
पहले कार बम के बाद एक और आत्मघाती हमला हुआ, जिससे इमारत ढह गई और कई लोग हताहत हुए। आईएसपीआर ने कहा कि हमला कम से कम छह आतंकवादियों ने किया था, जिन्हें मार गिराया गया।
अचकजई ने कहा, डीआई खान हमले ने पाकिस्तान की सभी राष्ट्रीय सुरक्षा सीमाओं को पार कर लिया है।
इस्लामाबाद को संयुक्त राज्य अमेरिका को ड्रोन बेस की पेशकश करने का प्रस्ताव देते हुए अचकजई ने कम से कम सात आतंकवाद-रोधी प्रस्ताव भी पेश किए, जिनमें अफगानिस्तान में प्रतिशोध के हमले, सीमाओं को बंद करना, अफगान शरणार्थियों को वापस भेजना और इस्लामाबाद में अफगान तालिबान के राजनीतिक विरोध को इकट्ठा करना शामिल है।
अचकजई ने कहा कि इस्लामाबाद को अमेरिका को ड्रोन बेस की पेशकश करनी चाहिए और अफगानिस्तान में अल-कायदा व अन्य आतंकी संगठनों के ठिकानों को निशाना बनाना चाहिए।
अचकजई ने कहा, अफगान तालिबान को संदेश भेजें : बहुत हो गया ... हम अब कोई दोहरा खेल बर्दाश्त नहीं करेंगे।
अचकजई का प्रस्ताव एक महत्वपूर्ण समय पर आया है, जब पाकिस्तान सेना प्रमुख जनरल सैयद असीम मुनीर अमेरिका में बाइडेन प्रशासन, पेंटागन और विदेश विभाग के अधिकारियों के साथ महत्वपूर्ण बैठकें कर रहे हैं।
हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि अचकजई के प्रस्ताव को आधिकारिक तौर पर स्वीकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि इस्लामाबाद ने सार्वजनिक रूप से ड्रोन हमलों का विरोध किया है और इसे अपनी संप्रभुता का उल्लंघन बताया है।
गौरतलब है कि अमेरिका ने साल 2004 से 2018 तक अफगानिस्तान की सीमा के पास पाकिस्तान के कबायली इलाके में सैकड़ों ड्रोन हमले किए, जिसमें हजारों लोग मारे गए। हालांकि, यह हमेशा तर्क का विषय रहा है कि ड्रोन हमलों से अधिकांश मौतें आम नागरिकों की हुई हैं।
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Source : IANS