केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को एनआईए द्वारा आयोजित दो दिवसीय तीसरे आतंकवाद विरोधी सम्मेलन का उद्घाटन किया और कहा कि सभी आतंकवाद विरोधी एजेंसियों को क्रूर दृष्टिकोण अपनाना होगा ताकि देश में कोई नया आतंकी संगठन न बन सके।
शाह के अलावा केंद्रीय गृह राज्य मंत्री निसिथ प्रमाणिक, केंद्रीय गृह सचिव, आईबी के निदेशक और एनआईए के महानिदेशक सहित केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के महानिदेशक, राज्यों के पुलिस महानिदेशक, वरिष्ठ अधिकारी बैठक में केंद्र और राज्यों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। गृह मंत्री ने एनआईए अधिकारियों को उत्कृष्ट सेवा के लिए पदक प्रदान किये।
अपने उद्घाटन भाषण में शाह ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, केंद्रीय और राज्य एजेंसियां पिछले नौ वर्षों में देश में सभी प्रकार के आतंकवाद पर मजबूती से अंकुश लगाने में सफल रही हैं।
उन्होंने कहा कि एनआईए के तत्वाधान में देश में एक मॉडल आतंकवाद विरोधी संरचना बनाई जानी चाहिए और सभी राज्यों में आतंकवाद विरोधी एजेंसियों की जांच का पदानुक्रम, संरचना और एसओपी एक समान होनी चाहिए, ताकि केंद्र और राज्य एजेंसियों के बीच समन्वय बेहतर हो सके।
मंत्री ने कहा, सभी आतंकवाद विरोधी एजेंसियों को ऐसा क्रूर रुख अपनाना होगा कि देश में कोई नया आतंकवादी संगठन न बन सके।
शाह ने कहा कि एनआईए, एटीएस और एसटीएफ का काम सिर्फ जांच करना नहीं है, बल्कि उन्हें जांच के दायरे से बाहर जाकर आउट-ऑफ-द-बॉक्स सोच के साथ आतंकवाद पर हमला करने की दिशा में काम करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, भारत के गांवों में और राज्यों में सहयोग के साथ काम करने की जरूरत है।
शाह ने यह भी कहा कि मोदी सरकार ने क्रिप्टो, हवाला, टेरर-फंडिंग, संगठित अपराध सिंडिकेट, नार्को-टेरर लिंक जैसी सभी चुनौतियों पर सख्त रुख अपनाया है, जिसके बहुत अच्छे परिणाम मिले हैं, लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।
मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार ने पिछले पांच साल में कई डेटाबेस वर्टिकल तैयार किये हैं। शाह ने जोर देकर कहा कि केंद्र और राज्यों की सभी एजेंसियों को बहुआयामी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करना चाहिए, तभी भारत आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सफल होगा। उन्होंने यह भी कहा कि डेटाबेस का उपयोग जांच, अभियोजन, रोकथाम और कार्रवाई के लिए किया जाना चाहिए।
उन्होंने प्रत्येक थाने के साथ-साथ पुलिस अधिकारियों से भी डेटाबेस का अधिकतम उपयोग करने का आग्रह किया।
उन्होंने यह भी बताया कि अंतर-संचालित आपराधिक न्याय प्रणाली सीसीटीएनएस को 99.93 प्रतिशत यानी 16,733 थानों में लागू किया गया है और 22 हजार अदालतों को ई-कोर्ट से जोड़ा गया है।
ई-प्रिज़न के माध्यम से लगभग दो करोड़ कैदियों का डेटा उपलब्ध था, और ई-प्रोसिक्यूशन के माध्यम से एक करोड़ से अधिक का डेटा उपलब्ध था और ई-फॉरेंसिक से 17 लाख से अधिक का डेटा भी उपलब्ध था।
इसी तरह, राष्ट्रीय स्वचालित फ़िंगरप्रिंट पहचान प्रणाली में 90 लाख से अधिक फ़िंगरप्रिंट रिकॉर्ड हैं और आतंकवाद की एकीकृत निगरानी के तहत, यूएपीए-पंजीकृत मामलों के तहत निगरानी के लिए 22 हजार आतंकवादी मामलों का डेटा उपलब्ध था।
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि सभी केंद्रीय और राज्य स्तरीय आतंकवाद विरोधी एजेंसियों के लिए एक सामान्य प्रशिक्षण मॉड्यूल होना चाहिए, ताकि आतंकवाद के खिलाफ लड़ने की पद्धति में एकरूपता लाई जा सके। उन्होंने एनआईए और आईबी को इस दिशा में पहल करने को कहा।
उन्होंने कहा कि 2001 में आतंकवादी घटनाओं की संख्या छह हजार थी, जिसे मोदी सरकार ने कम करने का काम किया और 2022 में यह घटकर 900 रह गयी।
उन्होंने 94 प्रतिशत से अधिक सजा दर हासिल करने के लिए एनआईए की सराहना की और कहा कि इस दिशा में और अधिक काम करने की जरूरत है और सभी राज्यों से सजा दर बढ़ाने के लिए कदम उठाने को कहा।
मंत्री ने यह भी कहा कि केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से नशे के खिलाफ लड़ाई में बड़ी सफलताएं हासिल हुई हैं।
उन्होंने कहा, “इन उपलब्धियों में इस साल एनसीबी के नेतृत्व वाला ऑपरेशन समुद्रगुप्त शामिल है, जिसके दौरान केरल में 12 हजार करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की लगभग 2,500 किलोग्राम मेथमफेटामाइन जब्त की गई थी। इसके अलावा 10 लाख किलोग्राम ड्रग्स का निस्तारण भी किया गया है।
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Source : IANS