बिहार चुनाव से पहले इलेक्शन कमीशन का बड़ा स्टेप, ई-साइन किया लॉन्च, वोटर लिस्ट से नहीं हट सकेगा नाम

चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट में फर्जी नाम हटाने और पहचान की धोखाधड़ी को रोकने के लिए एक नई तकनीक का उपयोग शुरू किया है.  इस कदम का उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और विश्वसनीय बनाना है.

चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट में फर्जी नाम हटाने और पहचान की धोखाधड़ी को रोकने के लिए एक नई तकनीक का उपयोग शुरू किया है.  इस कदम का उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और विश्वसनीय बनाना है.

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Dheeraj Sharma
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बिहार में विधानसभा चुनाव की रणभेरी कभी भी बच सकती. इस बीच एक तरफ राजनीतिक दल जनता में अपनी पकड़ मजबूत करने में जुटे हैं तो वहीं दूसरी तरफ भारत निर्वाचन आयोग भी इस चुनाव एक बार फिर निष्पक्ष कराने के मकसद से चुनावी प्रक्रिया को और सुरक्षित करने में लगा है. इसी कड़ी में अब ईसी ने वोटर लिस्ट में फर्जी नाम हटाने और पहचान की धोखाधड़ी को रोकने के लिए एक नई तकनीक का उपयोग शुरू किया है.  इस कदम का उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और विश्वसनीय बनाना है. हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा कर्नाटक के आलंद विधानसभा क्षेत्र में वोटर लिस्ट से हजारों नाम हटाने की शिकायत के बाद यह फैसला लिया गया. 

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क्या है यह नई तकनीक?

निर्वाचन आयोग ने अपने ईसीआईनेट (ECI Net) पोर्टल और ऐप पर एक नया ‘ई-साइन’ फीचर लॉन्च किया है. इस सुविधा के तहत अब वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने (फॉर्म 6), नाम हटाने (फॉर्म 7), या सुधार (फॉर्म 8) के लिए आवेदन करते समय आवेदकों को अपनी पहचान आधार से जुड़े मोबाइल नंबर के माध्यम से सत्यापित करनी होगी. 

पहले यह प्रक्रिया बिना किसी मजबूत पहचान सत्यापन के होती थी, जिससे फर्जीवाड़े की संभावना बनी रहती थी.  लेकिन अब ई-साइन के माध्यम से आधार आधारित ओटीपी (OTP) सत्यापन अनिवार्य कर दिया गया है. 

कैसे काम करता है ई-साइन सिस्टम?

आवेदन भरना: जब कोई व्यक्ति ECI Net पोर्टल या ऐप पर फॉर्म 6, 7 या 8 भरता है, तो उसे ई-साइन प्रक्रिया को पूरा करना होता है. 

आधार डिटेल और ओटीपी वेरिफिकेशन: आवेदक को एक ई-साइन पोर्टल पर भेजा जाता है, जहां उसे अपना आधार नंबर दर्ज करना होता है. इसके बाद, उस मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी भेजा जाता है जो आधार से लिंक है. 

सहमति और सबमिशन: ओटीपी दर्ज करने और सहमति देने के बाद ही आवेदन पूरा माना जाता है. इसके बाद व्यक्ति को वापस ECInet पोर्टल पर भेजा जाता है, जहां फॉर्म जमा किया जाता है. 

इस बदलाव की जरूरत क्यों पड़ी?

राहुल गांधी ने 18 सितंबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में खुलासा किया कि कर्नाटक के आलंद क्षेत्र में करीब 6,000 मतदाताओं के नाम फर्जी तरीके से हटाने की कोशिश की गई थी. इन मामलों में असली मतदाताओं की पहचान का दुरुपयोग किया गया और ऐसे मोबाइल नंबरों से फॉर्म जमा किए गए जो संबंधित मतदाताओं के नहीं थे.  इस घोटाले ने चुनावी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े किए थे. 

नई ई-साइन तकनीक से क्या उम्मीदें हैं?

- पहचान की चोरी और दुरुपयोग रोका जा सकेगा.

- फर्जी या राजनीतिक उद्देश्य से किए गए आवेदन पकड़े जा सकेंगे. 

- चुनावी प्रक्रिया में जनता का भरोसा मजबूत होगा.

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