Operation Sindoor: आईआईटी मद्रास के एक कार्यक्रम के दौरान सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने ऑपरेशन सिंदूर पर खुलकर बात की. बीते सोमवार को उन्होंने आईआईटी मद्रास में कहा कि, ऑपरेशन सिंदूर बिल्कुल शतरंज की तरह था. जिसमें हमें आगे की नहीं पता कि दुश्मन अगली चाल क्या चलने वाला है. उन्होंने कहा कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में जो कुछ हुआ, उसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. उसके बाद 23 अप्रैल को राजनीति नेतृत्व और शीर्ष सैन्य नेतृत्व की एक अहम बैठक हुई. सेना प्रमुख के मुताबिक, ये पहली बार था जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा- बस अब बहुत हो चुका.
जानें ऑपरेशन सिंदूर को लेकर क्या कुछ बोले सेना प्रमुख
सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने अपने संबोधन में कहा कि, 'पहलगाम आतंकी हमले के बाद पूरा देश दुख और आक्रोश में था. इस आतंकी घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकी हमला हुआ और 23 अप्रैल को हमने बैठक की. यह पहली बार था जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, 'बस, बहुत हो गया'." उन्होंने कहा कि तीनों सेना प्रमुख इस बात को लेकर पूरी तरह से तैयार थे कि अब कुछ करना होगा.
राजनीतिक नेतृत्व की भूमिका के बारे में दी जानकारी
इस दौरान सेना प्रमुख जनरल द्विवेदी ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर राजनीतिक नेतृत्व के बारे में भी बात कही. उन्होंने कहा कि, 'हमें पूरी छूट दी गई थी. उन्होंने कहा-'आप तय करें कि क्या करना है. यह वह आत्मविश्वास, राजनीतिक दिशा और राजनीतिक स्पष्टता है जो हमने पहली बार देखी." सेना प्रमुख ने कहा कि, "यही आपका मनोबल बढ़ाता है. इसी से हमारे सेना प्रमुखों को जमीन पर रहकर अपनी समझ के मुताबिक, काम करने में सहयोग मिला."
जनरल द्विवेदी ने आगे कहा कि, उसके बाद 25 अप्रैल को, हम उत्तरी कमान गए. जहां हमने नौ में से सात टारगेट के बारे में विचार किया और उसे लेकर योजना बनाई उसके बाद उसे अंजाम दिया. इन सभी टारगेट्स को ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तबाह कर दिया गया. जिसमें कई आतंकी मारे गए.
हम पारंपरिक ऑपरेशन नहीं कर रहे थे- जनरल द्विवेदी
इस दौरान सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि, "ऑपरेशन सिंदूर में, हमने शतरंज खेला, जिसमें हमें नहीं पता था कि दुश्मन की अगली चाल क्या होगी और हम क्या करने वाले हैं. इसे ग्रेज़ोन कहते हैं. ग्रेज़ोन का मतलब है कि हम पारंपरिक ऑपरेशन नहीं कर रहे हैं. हम जो कर रहे हैं, वह पारंपरिक ऑपरेशन से बस थोड़ा कम है. हम शतरंज की चालें चल रहे थे, और वह (दुश्मन) भी शतरंज की चालें चल रहा था. कहीं हम उन्हें शह और मात दे रहे थे और कहीं हम अपनी जान गंवाने के जोखिम पर भी हार मान रहे थे, लेकिन यही तो ज़िंदगी है."
29 अप्रैल को पीएम मोदी से की मुलाकात
जनरल द्विवेदी ने इस दौरान कहा कि, ऑपरेशन सिंदूर से पहले 29 अप्रैल को हम पहली बार पीएम मोदी से मिले. उस दौरान ऑपरेशन सिंदूर को लेकर चर्चा हुई. उन्होंने बताया कि पहले इसे ऑपरेशन सिंधु का नाम दिया जाना था, लेकिन बाद में इसका नाम ऑपरेशन सिंदूर कर दिया गया. जनरल द्विवेदी ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि कैसे एक छोटा सा नाम "ऑपरेशन सिंदूर" पूरे देश को जोड़ता है. यह एक ऐसी बात है जिसने पूरे देश को प्रेरित किया. सेना प्रमुख ने कहा कि, अगर आप किसी पाकिस्तानी से पूछें कि आप हारे या जीते, तो वह कहेगा कि मेरा सेनापति फील्ड मार्शल बन गया है. तो हम ही जीते होंगे, इसीलिए वह फील्ड मार्शल बना होगा.
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