लाल किला ब्लास्ट केस में पुलिस को बड़ी सफलता मिली है. बता दें कि जांच में मिली डॉक्टर मुजम्मिल शकील और उमर की डायरियों ने कई बड़े राज खोले हैं.
दिल्ली के लाल किला इलाके के पास हाल ही में हुए धमाके ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है. अब इस मामले में जांच एजेंसियों को कुछ ऐसे अहम सबूत मिले हैं, जिन्होंने इस आतंकी साजिश की गहराई और इसके नेटवर्क का पर्दाफाश करना शुरू कर दिया है.
फरीदाबाद से पकड़ा गया था संदिग्ध डॉक्टर मुजम्मिल
आपको बता दें कि धमाके से एक दिन पहले हरियाणा के फरीदाबाद से डॉक्टर मुजम्मिल नाम के संदिग्ध को गिरफ्तार किया गया था. जब एजेंसियों ने उसके कमरे की तलाशी ली, तो वहां से एक डायरी और नोटबुक मिली. इन दस्तावेजों में कई गुप्त कोड, संदेश और संभावित सहयोगियों के नाम दर्ज थे. इससे साफ हुआ कि यह नेटवर्क लंबे समय से भारत में किसी बड़े आतंकी हमले की योजना बना रहा था.
डॉक्टर उमर नबी का नाम भी आया सामने
जांच के दौरान मुजम्मिल के अलावा डॉक्टर उमर नबी का नाम भी सामने आया है. दोनों के कमरों से कई अहम सबूत मिले हैं. मुजम्मिल के रूम नंबर 13 और उमर के रूम नंबर 4 से एजेंसियों ने डायरियां, नोट्स और अन्य दस्तावेज बरामद किए. यही नहीं, फरीदाबाद के धौज इलाके से, जहां हाल ही में 360 किलो विस्फोटक मिला था, एक और डायरी मिली है. यह जगह अल फला यूनिवर्सिटी के पास है, जिससे संकेत मिलता है कि यह साजिश शैक्षणिक संस्थानों के आसपास से ही चलाई जा रही थी.
डायरियों में कोड वर्ड्स और तारीखों का रहस्य
रिपोर्ट्स के मुताबिक, बरामद डायरियों में कई कोडेड शब्द लिखे हुए हैं, जिनका अर्थ केवल नेटवर्क के सदस्य ही जानते थे. इनमें 8 नवंबर से 12 नवंबर तक की तारीखें खास तौर पर दर्ज हैं, जो यह दर्शाती हैं कि इन्हीं दिनों में किसी बड़ी आतंकी कार्रवाई की योजना थी. एजेंसियां अब यह जांच कर रही हैं कि इन तारीखों में क्या गतिविधियां हुईं और क्या उनका सीधा संबंध दिल्ली ब्लास्ट से है.
25 संदिग्धों के नाम और साजिश की कड़ी
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि डायरियों में करीब 25 लोगों के नाम दर्ज हैं, जिनमें ज्यादातर जम्मू-कश्मीर और फरीदाबाद के हैं. इन सभी को अब निगरानी में रखा गया है. शुरुआती जांच से पता चला है कि इनमें से कुछ लोग इस नेटवर्क को सहायता दे रहे थे या योजनाओं से अवगत थे.
कोड डिकोड करने में जुटी विशेष टीम
एजेंसियों ने कोड वर्ड्स को समझने का काम विशेषज्ञों की टीम को सौंपा है. माना जा रहा है कि इनसे पता चल सकता है कि फंडिंग कहां से हुई, विस्फोटक किसने उपलब्ध कराए और असली मास्टरमाइंड कौन था. जांच अब उस दिशा में बढ़ रही है, जहां इस साजिश की पूरी तस्वीर साफ होती जा रही है.
यह साफ है कि दिल्ली धमाका किसी एक दिन की योजना नहीं थी, बल्कि महीनों से चल रही एक गहरी और संगठित साजिश का नतीजा था.
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