प्रदूषण से लड़ने के लिए 'बीजिंग मॉडल' दिल्ली के लिए होगा कारगर, चीनी प्रवक्ता यू जिंग ने दिखाया रास्ता

दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण पर चीन ने बीजिंग का उदाहरण पेश किया है. चीनी दूतावास की प्रवक्ता यू जिंग ने कहा कि कभी बीजिंग की स्थिति भी दिल्ली जैसी थी, लेकिन सख्त नीतियों और दीर्घकालिक प्रयासों से हालात सुधरे. उन्होंने अनुभव साझा करने की बात कही.

दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण पर चीन ने बीजिंग का उदाहरण पेश किया है. चीनी दूतावास की प्रवक्ता यू जिंग ने कहा कि कभी बीजिंग की स्थिति भी दिल्ली जैसी थी, लेकिन सख्त नीतियों और दीर्घकालिक प्रयासों से हालात सुधरे. उन्होंने अनुभव साझा करने की बात कही.

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Ravi Prashant
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दिल्ली प्रदूषण Photograph: (X/@ChinaSpox_India/ani)

दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है. हवा इतनी जहरीली हो गई है कि सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है. कई इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स बेहद गंभीर श्रेणी में पहुंच गया है, जिससे बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों को सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

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चीन ने पेश किया बीजिंग का उदाहरण

दिल्ली की इस स्थिति को देखते हुए चीन ने बीजिंग का उदाहरण सामने रखा है. भारत में चीनी दूतावास की प्रवक्ता यू जिंग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर कहा कि चीन और भारत दोनों तेजी से शहरीकरण की ओर बढ़े हैं और इस दौरान प्रदूषण दोनों देशों के लिए बड़ी चुनौती बना.

उन्होंने लिखा कि एक समय बीजिंग की हालत भी बेहद खराब थी और वहां भी सांस लेना मुश्किल हो गया था, लेकिन लगातार प्रयासों से हालात बदले जा सके.

AQI की तुलना से खींचा ध्यान

यू जिंग ने अपने पोस्ट में बताया कि वर्तमान में बीजिंग का AQI 68 के आसपास है, जो संतोषजनक श्रेणी में आता है. वहीं दिल्ली का AQI 447 से ऊपर पहुंच गया है, जिसे बेहद गंभीर माना जाता है. इस तुलना के जरिए उन्होंने यह दिखाने की कोशिश की कि सही नीतियों से प्रदूषण पर काबू पाया जा सकता है.

स्मॉग से जूझ चुका है चीन

चीनी दूतावास की प्रवक्ता ने कहा कि चीन भी कभी गंभीर स्मॉग की समस्या से परेशान था. पिछले कुछ दशकों में सरकार ने प्रदूषण को लेकर सख्त कदम उठाए, जिसके चलते स्थिति में बड़ा सुधार देखने को मिला. उन्होंने आगे लिखा कि आने वाले दिनों में चीन अपने अनुभवों को छोटी-छोटी सीरीज के जरिए साझा करेगा.

कैसे जीती बीजिंग ने प्रदूषण से लड़ाई

बीजिंग में प्रदूषण से लड़ाई की शुरुआत साल 2008 के ओलंपिक से पहले किए गए अस्थायी उपायों से हुई. इन उपायों ने आगे चलकर स्थायी नीतियों का आधार तैयार किया. साल 2013 में चीन ने प्रदूषण को गंभीर राष्ट्रीय समस्या मानते हुए एक राष्ट्रीय एक्शन प्लान शुरू किया.

इसके तहत कोयला आधारित बिजली संयंत्रों में बदलाव किए गए और फैक्ट्रियों के उत्सर्जन मानकों को सख्त किया गया. धीरे-धीरे कोयले पर निर्भरता कम की गई और स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा दिया गया.

पड़ोसी क्षेत्रों के साथ साझा प्रयास

चीन ने बीजिंग के साथ-साथ आसपास के इलाकों जैसे तियानजिन और हेबेई के साथ मिलकर प्रदूषण पर काम किया. साल 2013 से 2017 के बीच प्रदूषण कम करने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश किए गए.

इलेक्ट्रिक वाहन और पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर जोर

बीजिंग में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया गया और पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम को मजबूत किया गया. इससे निजी वाहनों पर निर्भरता कम हुई और उत्सर्जन में गिरावट आई.

दिल्ली के लिए सबक

चीन का बीजिंग मॉडल यह दिखाता है कि सख्त नीतियां, दीर्घकालिक सोच और बड़े निवेश से प्रदूषण पर काबू पाया जा सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि यदि दिल्ली को प्रदूषण से राहत चाहिए, तो उसे भी इसी तरह के ठोस और लगातार कदम उठाने होंगे.

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