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दिल्ली में सस्ता होगा एयर प्यूरीफायर Photograph: (FREEPIK)
दिल्ली हाई कोर्ट ने राजधानी दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में लगातार खराब होती वायु गुणवत्ता पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए बुधवार को GST Council को निर्देश दिया कि वह एयर प्यूरीफायर पर GST कम करने या समाप्त करने के मुद्दे पर जल्द से जल्द बैठक बुलाए. कोर्ट ने संकेत दिया कि एयर प्यूरीफायर पर 5 प्रतिशत GST लागू किया जा सकता है.
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि अगर भौतिक बैठक संभव न हो तो GST Council वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भी बैठक कर सकती है. कोर्ट ने कहा कि फरवरी 2020 की अधिसूचना में जिन उपकरणों पर 5 प्रतिशत GST लगाया गया है, उनके कार्यों को देखते हुए एयर प्यूरीफायर को भी उसी श्रेणी में रखा जा सकता है.
PIL और याचिकाकर्ताओं की दलील
यह निर्देश अधिवक्ता कपिल मदान और गुरमुख सिंह अरोड़ा द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया. याचिका में एयर प्यूरीफायर पर 18 प्रतिशत GST को चुनौती दी गई थी और इन्हें मेडिकल डिवाइस के रूप में वर्गीकृत करने की मांग की गई थी. याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि मेडिकल डिवाइस पर 5 प्रतिशत GST लगता है, जबकि एयर प्यूरीफायर सीधे मानव स्वास्थ्य और सांस लेने की प्रक्रिया से जुड़े हैं.
कोर्ट की सख्त टिप्पणी
सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, “हम सभी सांस लेते हैं. हम दिन में करीब 21,000 बार सांस लेते हैं. जरा सोचिए कि हर सांस के साथ फेफड़ों को कितना नुकसान हो रहा है, और यह पूरी तरह अनैच्छिक प्रक्रिया है.” कोर्ट ने इस टिप्पणी के जरिए वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव को रेखांकित किया.
केंद्र सरकार और GST Council का पक्ष
दोपहर बाद हुई सुनवाई में केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि GST दरों से जुड़ा कोई भी फैसला नीति का विषय है और यह निर्णय केवल GST Council ही ले सकता है. इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद नायर ने कहा कि 2020 की अधिसूचना के तहत एयर प्यूरीफायर को शामिल करना आसान है और इसके लिए अलग ढांचा बनाने की जरूरत नहीं है.
संसदीय समिति की सिफारिश
कोर्ट ने संसदीय स्थायी समिति की उस रिपोर्ट का भी संज्ञान लिया, जिसमें सरकार को एयर प्यूरीफायर पर GST घटाने या समाप्त करने की सिफारिश की गई थी. इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए पीठ ने GST Council को निर्देश दिया कि वह इस मुद्दे पर जल्द निर्णय ले और मामले की अगली सुनवाई तक प्रगति से अवगत कराए.
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