दिल्ली ब्लास्ट में सामने आया आटा चक्की का कनेक्शन, जांच एजेंसियों का बड़ा खुलासा!

दिल्ली के रेड फोर्ट के पास हुए धमाके के बाद जांच एजेंसियां एक के बाद एक खुलासा कर रही हैं. इस बार जो खुलास हुआ है, वह अपने आप में चौंकाने वाला है.

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Ravi Prashant
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दिल्ली के रेड फोर्ट के पास हुए धमाके के बाद जांच एजेंसियां एक के बाद एक खुलासा कर रही हैं. इस बार जो खुलास हुआ है, वह अपने आप में चौंकाने वाला है.

दिल्ली धमाके को लेकर हर रोज नए खुलासे हो रहे हैं. वहीं, इस धमाके को लेकर एक आटा चक्की का कनेक्शन सामने आया है. जानकारी के मुताबिक, फतेहपुर तगा से लेकर धौज गांव तक, एक संदिग्ध नेटवर्क लगातार गुपचुप तरीके से अपना ठिकाना बदलता रहा. जांच में सामने आया है कि आरोपी ने सबसे पहले फतेहपुर तगा में एक छोटा सा कमरा किराए पर लिया था. यह कमरा महज एक महीने के लिए लिया गया और इसका किराया सिर्फ ₹2300 था. 

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अल-फलाह से 3 किलोमीटर की दूरी पर है ये मकान

देखने में तो यह एक साधारण कमरा लगता था, लेकिन जांच टीम ने जब इसे खंगाला तो यहां रहने के कोई इंतजाम नहीं मिले. चार दीवारी के भीतर सिर्फ रसायन, डिब्बे और अन्य सामग्री दिखाई दी, जिससे साफ समझ आता है कि यह जगह सिर्फ विस्फोटक पदार्थ रखने और तैयार करने के लिए ली गई थी. यह कमरा अल-फला यूनिवर्सिटी से लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पर था, ताकि शक भी न हो और पहुंच आसान रहे.

यहां पीसा जा रहा था यूरिया खाद

इसी सिलसिले में आरोपी ने धौज गांव में एक और कमरा किराए पर लिया. इस बार काम कुछ अलग था. यहां यूरिया के कट्टों से खाद निकालकर उसे पीसा जा रहा था. शुरुआती जांच में यह बात सामने आई कि आरोपी यूरिया को बारीक पीसकर अमोनियम नाइट्रेट में सल्फेट की मात्रा बढ़ाने का प्रयास कर रहा था. इसके लिए आटा चक्की का उपयोग किया गया, और यही चक्की अब पूरे मामले की चर्चा का केंद्र बन गई है. मशीनों की आवाज, वहां रखे यूरिया के अवशेष और धातुओं का पाउडर साफ संकेत देते हैं कि यूरिया के साथ अलग-अलग धातुओं को भी पीसा गया, ताकि उनका इस्तेमाल विस्फोटक मिश्रण बनाने में हो सके.

टैक्सी ड्राइवर का कनेक्शन आया सामने

बताया जा रहा है कि एक नीले रंग की मशीन भी विस्फोट से दो दिन पहले उसी गांव में लाकर रखी गई थी. यह मशीन भी मिश्रण तैयार करने से जुड़ी बताई जा रही है. वहीं टैक्सी ड्राइवर का भी कनेक्शन सामने आया है. वह पहले अल-फला यूनिवर्सिटी अस्पताल में इलाज के लिए आया था, जहां उसकी मुलाकात मुजम्मिल नाम के छात्र से हुई. बातचीत का सिलसिला आगे बढ़ा और यहीं से संपर्क गहरा होता गया. इसी संपर्क के आधार पर लगातार आना-जाना शुरू हुआ, और फिर धीरे-धीरे एक नेटवर्क विकसित हो गया.

जांच एजेंसियां अब यह पता लगा रही हैं कि यह विस्फोटक सामग्री किन जगहों पर इस्तेमाल होने वाली थी और इसके पीछे कौन-कौन शामिल था. कई बरामद साक्ष्य इस बात का संकेत दे रहे हैं कि तैयारी काफी दिनों से चल रही थी. तेजी से छापेमारी जारी है और जांच में नए खुलासे होने की संभावना है.

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