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देश के नौ राज्यों और तीन केंद्रशासित प्रदेशों में इस समय मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) का काम तेज गति से चल रहा है. इस प्रक्रिया की सबसे बड़ी जिम्मेदारी बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) पर है, जिन्हें घर-घर जाकर फॉर्म बांटने, जानकारी सत्यापित करने और रिकॉर्ड डिजिटल रूप से अपडेट करने का काम सौंपा गया है. लेकिन इस अभियान के बीच एक गंभीर चिंता सामने आई है- BLO की लगातार मौत और आत्महत्या के मामले.
काम के दबाव में बढ़ रही मौतें और आत्महत्याएं
कई राज्यों में सामने आए मामलों में परिजनों ने दावा किया है कि BLO पर काम पूरा करने का अत्यधिक दबाव है और निर्धारित समय में लक्ष्य पूरा न होने की स्थिति में उन्हें कड़े निर्देश मिलते हैं. इसी तनाव में BLO आत्महत्या कर रहे हैं.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का आरोप है कि तीन साल का काम चुनाव आयोग तीन महीने में पूरा कराना चाहता है, जिससे जीवन पर खतरा पैदा हो रहा है. उनके अनुसार, सिर्फ बंगाल में 28 BLO की मौत हो चुकी है.
Profoundly shocked to know of the death of yet another BLO, a lady para- teacher,who has committed suicide at Krishnanagar today . BLO of part number 201 of AC 82 Chapra, Smt Rinku Tarafdar, has blamed ECI in her suicide note ( copy is attached herewith) before committing… pic.twitter.com/xG0TyD4VNy
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) November 22, 2025
आपको बता दें कि शुक्रवार (21 नवंबर) रात को पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर जिले में 54 वर्षीय BLO रिंकू तरफदार ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. वो चोपरा के बंगालजी स्वामी विवेकानंद विद्या मंदिर में पार्ट-टाइम टीचर थी और चोपरा दुई पंचायत के बूथ नंबर 201 की BLO थी. सुसाइड नोट में उन्होंने साफ लिखा- ‘मैं SIR के दबाव को और नहीं संभाल सकती.’
अब तक किन राज्यों में हुई मौतें?
अब तक हुई मौतों और आत्महत्याओं की बात करें तो ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में कई BLO की मौत हुई है, जिनमें दो मामले हाल-फिलहाल में हुए हैं. मध्य प्रदेश (दतिया और झाबुआ में आत्महत्या), गुजरात (गिर सोमनाथ और खेड़ा में दो मौतें), राजस्थान(जयपुर और सवाई माधोपुर में मौत), केरल (कन्नूर में BLO की आत्महत्या) में ऐसे मामले सामने आए हैं. केरल में तो इसके विरोध में BLO हड़ताल पर उतर आए हैं.
सरकारों की प्रतिक्रिया
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल सरकार ने मृत BLO के परिजनों को 2 लाख रुपए मुआवजा देने की घोषणा की है. बीमार पड़ने वाले BLO को 1 लाख रुपए सहायता दी जाएगी. चुनाव आयोग ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए संबंधित राज्यों से रिपोर्ट तलब की है.
आगे क्या?
यह स्थिति कई सवाल खड़े करती है. क्या BLO से मानव सीमा से अधिक काम कराया जा रहा है? क्या चुनाव आयोग इस मानसिक दबाव की जिम्मेदारी लेगा? क्या SIR की प्रक्रिया की समय सीमा बढ़ाई जाएगी? फिलहाल, सबसे जरूरी है कि चुनावी तैयारी के साथ BLO की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य पर तुरंत ध्यान दिया जाए.
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