‘असली काटने वाले तो संसद में बैठे हैं’- बोलीं रेणुका चौधरी, शीतकालीन सत्र के दौरान कुत्ता लाने पर हुआ है विवाद

पार्लियामेंट में कुत्ता लाने पर हुए विवाद पर कांग्रेस एमपी रेणुका चौधरी ने कहा, “यह छोटा सा पपी सड़क पर घूम रहा था. मुझे लगा कि इसे टक्कर लग जाएगी. इसलिए मैं ले आई. तो इस चर्चा का क्या मतलब है? असली काटने वाले तो पार्लियामेंट में बैठे हैं.”

पार्लियामेंट में कुत्ता लाने पर हुए विवाद पर कांग्रेस एमपी रेणुका चौधरी ने कहा, “यह छोटा सा पपी सड़क पर घूम रहा था. मुझे लगा कि इसे टक्कर लग जाएगी. इसलिए मैं ले आई. तो इस चर्चा का क्या मतलब है? असली काटने वाले तो पार्लियामेंट में बैठे हैं.”

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Deepak Kumar
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संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन यानी आज (1 दिसंबर) कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी अपने साथ एक छोटे पिल्ले को लेकर संसद परिसर पहुंचीं. यह दृश्य देखकर सुरक्षा कर्मियों और सांसदों के बीच तुरंत चर्चा और विवाद शुरू हो गया. कुछ ही देर में यह मुद्दा दिन की सबसे बड़ी खबर बन गया.

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रेणुका चौधरी ने बताया कि वह रास्ते में जा रही थीं, तभी एक स्कूटर और कार की टक्कर के बीच एक छोटा पपी सड़क पर घूमता दिखा. उन्हें लगा कि वह घायल हो सकता है, इसलिए उन्होंने उसे उठाकर अपनी कार में रखा और संसद पहुंचीं. उन्होंने कहा कि कुत्ते को उन्होंने तुरंत घर भेज दिया था.

रेणुका चौधरी ने इस विवाद पर क्या कहा?

मीडिया से बात करते हुए रेणुका चौधरी ने कहा, “कोई कानून है क्या? यह छोटा पपी था, किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता. असली काटने वाले तो संसद में बैठे हैं, सरकार चलाते हैं. हम एक बेजुबान की मदद करते हैं और यह बड़ा मुद्दा बन जाता है.”

उन्होंने सवाल उठाया कि क्या सरकार के पास इससे बड़े मुद्दे नहीं हैं? उन्होंने यह भी कहा कि सुरक्षा को लेकर चिंता करना बेकार है, क्योंकि कुत्ता पहले ही वापस भेजा जा चुका था.

दूसरी ओर, बीजेपी सांसद जगदम्बिका पाल ने इस घटना को विशेषाधिकार का दुरुपयोग बताते हुए कड़ी कार्रवाई की मांग की. उनका कहना है कि नियमों के तहत कोई भी सांसद पालतू जानवर को सदन में नहीं ला सकता.

शीतकालीन सत्र की हुई शुरुआत

आज (1 दिसंबर) से 19 दिनों तक चलने वाले इस सत्र में 13 नए विधेयक पेश किए जाने हैं. इनमें परमाणु ऊर्जा विधेयक 2025, भारतीय उच्च शिक्षा आयोग विधेयक, बीमा कानून संशोधन, और राष्ट्रीय राजमार्ग संशोधन विधेयक शामिल हैं.

विपक्ष ने प्रदूषण, आर्थिक असमानता और दिल्ली विस्फोट जैसे मुद्दों पर चर्चा की मांग की है. इसके साथ ही वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर विशेष बहस होने की उम्मीद है.

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