कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी के 'डॉग स्टंट' पर हंगामा, बीजेपी बोली-“मर्यादा को ठेस पहुंची”

संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत विवाद से हुई. कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी स्ट्रीट डॉग को लेकर संसद पहुंचीं, जिसके बाद बयानबाजी तेज हो गई. बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने इसे संसद की मर्यादा का उल्लंघन बताया.

संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत विवाद से हुई. कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी स्ट्रीट डॉग को लेकर संसद पहुंचीं, जिसके बाद बयानबाजी तेज हो गई. बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने इसे संसद की मर्यादा का उल्लंघन बताया.

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Ravi Prashant
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बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा और कांग्रेस सांसद रेणुका चौधऱी Photograph: (ANI)

शीतकालीन सत्र की शुरुआत इस बार भारी राजनीतिक गर्माहट के साथ हुई है. 1 दिसंबर से जारी सत्र के शुरुआती दिनों में ही पक्ष और विपक्ष के बीच कई मुद्दों पर टकराव देखने को मिला. इसी बीच सोमवार को एक असामान्य दृश्य ने सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया. कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी एक आवारा कुत्ते को लेकर संसद परिसर पहुंच गईं. यह घटना कुछ ही मिनटों में चर्चा का बड़ा विषय बन गई.

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जो लोग अंदर बैठते हैं वो काटते है

संसद में प्रवेश से पहले कुत्ते को साथ लाती देख वहां मौजूद सांसदों और कर्मचारियों के बीच हैरानी का माहौल बन गया. कई नेताओं ने पूछा कि आखिर इसका मकसद क्या है? इस पर प्रतिक्रिया देते हुए रेणुका चौधरी ने तीखा बयान दिया. उनका कहना था कि “जो लोग अंदर बैठे हैं, वो काटते हैं, कुत्ते नहीं काटते.” उनके इस तंज पर सत्तापक्ष के नेताओं ने कड़ा विरोध जताया और इसे संसद की गरिमा पर सीधा हमला बताया.

बीजेपी ने किया पलटवार

कांग्रेस नेता के इस कदम पर बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने तीखी प्रतिक्रिया दी. पात्रा के अनुसार, इस तरह के स्टंट और बयान संसद की मर्यादा को ठेस पहुंचाते हैं. उन्होंने कहा कि रेणुका चौधरी और राहुल गांधी दोनों हाल के दिनों में ऐसी भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो एक सांसद की जिम्मेदारियों के अनुरूप नहीं है. उनके मुताबिक, चौधरी का यह कहना कि असली काटने वाले संसद के अंदर बैठे हैं, अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और गैर-जिम्मेदाराना है.

हताशा का स्तर ये है

पात्रा ने आगे कहा कि यह कांग्रेस की “हताशा का स्तर” दिखाता है, जहां विपक्ष सत्ता पक्ष पर निशाना साधने के लिए किसी भी बयानबाज़ी की सीमा लांघ सकता है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि वह उसी शब्दावली का उपयोग नहीं करेंगे जिसका इस्तेमाल कांग्रेस की ओर से किया गया, लेकिन संसद जैसी गंभीर संस्था को राजनीतिक व्यंग्य और अपमानजनक टिप्पणियों से दूर रखना चाहिए.

इस पूरे विवाद ने शीतकालीन सत्र की दिशा और माहौल दोनों पर असर डाला है. जहां विपक्ष ने इसे अपनी अभिव्यक्ति का हिस्सा बताया, वहीं सत्तापक्ष इसे संसद की गरिमा पर हमला मान रहा है. अब देखने वाली बात होगी कि आने वाले दिनों में यह विवाद और कितना गरमाता है और इसका असर सदन की कार्यवाही पर कैसे पड़ेगा.

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