वॉशिंगटन डीसी में मौजूद कांग्रेस सांसद और पूर्व विदेश राज्यमंत्री शशि थरूर ने अमेरिका में एक प्रेस वार्ता के दौरान स्पष्ट किया कि भारत ने कभी किसी तीसरे पक्ष से पाकिस्तान के साथ मध्यस्थता की मांग नहीं की है. यह बयान उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे के जवाब में दिया, जिसमें ट्रंप ने कहा था कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की पेशकश की थी. थरूर ने कहा, "हम अमेरिका और राष्ट्रपति पद का बहुत सम्मान करते हैं, लेकिन हमने कभी किसी से मध्यस्थता की मांग नहीं की है।"
'ऑपरेशन सिंदूर' से पाकिस्तान को लगा झटका
थरूर ने भारत द्वारा हाल ही में की गई सैन्य कार्रवाई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का ज़िक्र करते हुए कहा कि भारत ने पाकिस्तान पर निर्णायक हमले किए, जिनमें 11 पाकिस्तानी सैन्य हवाई अड्डों को निशाना बनाया गया. उन्होंने बताया, “सैटेलाइट इमेजरी में स्पष्ट रूप से रनवे पर बने गड्ढे और बमबारी से तबाह ऑपरेशनल कमांड सेंटर्स दिखाई दे रहे हैं.” थरूर ने यह भी कहा कि पाकिस्तान द्वारा खुद जारी की गई एक गोपनीय रिपोर्ट से इस बात की पुष्टि होती है कि भारत के हमले बेहद व्यापक थे, हैदराबाद से लेकर पेशावर तक.
पाकिस्तान ने भारत से अपील की थी
कांग्रेस सांसद ने यह भी दावा किया कि पाकिस्तान ने 10 मई को भारत से ऑपरेशन रोकने का आग्रह किया था, जब उन्हें भारतीय कार्रवाई से हुए भारी नुकसान का अंदाजा हुआ. उन्होंने कहा, “पाकिस्तान समझ गया कि उसने चाहे जितना भी नुकसान पहुंचाया हो, भारत ने उससे कई गुना ज़्यादा प्रभावशाली जवाब दिया है.”
अमेरिका को भारत की स्थिति समझनी चाहिए
थरूर ने अमेरिका की भूमिका पर टिप्पणी करते हुए कहा, “अमेरिका अब यह समझ गया है कि भारत की स्पष्ट नीति है. हम बंदूक की नोक पर बातचीत नहीं करेंगे.” उन्होंने व्यंग्यात्मक अंदाज़ में कहा, “हम पाकिस्तान से बात कर सकते हैं, हम उनकी हर भाषा जानते हैं लेकिन हालात सही होने चाहिए.”
आतंकवाद के खिलाफ दोबारा कार्रवाई की चेतावनी
थरूर ने साफ शब्दों में चेतावनी दी कि अगर पाकिस्तान अपनी जमीन से चल रहे आतंकी नेटवर्क को नियंत्रित नहीं करता, तो भारत फिर से सैन्य कार्रवाई करेगा. शशि थरूर उस सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं जो फिलहाल अमेरिका में है. इससे पहले यह दल ब्राज़ील का दौरा कर चुका है. अमेरिकी दौरे का उद्देश्य अमेरिकी नीति निर्माताओं को भारत के आतंकवाद विरोधी रुख और 'ऑपरेशन सिंदूर' की पृष्ठभूमि में भारत की स्थिति स्पष्ट करना है.
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