कांग्रेस और शिवसेना दो मुद्दों पर आमने-सामने, वीर सावरकर की तस्वीर उतारने पर बिगड़ा मामला

बेलगाम का मामला काफी पुराना है. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हार के बाद एक बार फिर से शिवसेना (यूबीटी) की तरफ से यह मुद्दा उछाला जा रहा है.

बेलगाम का मामला काफी पुराना है. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हार के बाद एक बार फिर से शिवसेना (यूबीटी) की तरफ से यह मुद्दा उछाला जा रहा है.

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Mohit Saxena
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आदित्य ठाकरे (social media)

इंडी गठबंधन में दरार की खबरों के बीच, इस गठबंधन के दो प्रमुख दल दो राज्यों में एक-दूसरे के खिलाफ खड़े हो गए हैं. एक ओर महाराष्ट्र में शिवसेना (यूबीटी), कांग्रेस और एनसीपी (एसपी) ने महाविकास अघाड़ी के तौर पर एक साथ चुनाव लड़ा तो वहीं दूसरी ओर कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है. 

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ऐसे में कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) दो मामलों पर एक-दूसरे के आमने-सामने आ गई है. एक तो वीर सावरकर के अपमान का मामला है. इससे मुद्दे को शिवसेना (यूबीटी) उठा रही है. कर्नाटक में विधानसभा भवन से वीर सावरकर की तस्वीर उतारने की बात सामने आई है. वहीं, बेलगाम (बेलगावी) को लेकर कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) के नेता एक-दूसरे पर हमला बोल रहे हैं.

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सीएम देवेंद्र फडणवीस को खत लिखकर की मांग

बेलगाम का केस काफी पुराना है. मगर यह दोबारा से उभर आया है. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हार के बाद फिर से शिवसेना (यूबीटी) की ओ से यह उछाला गया है. यह मामला तब गर्मा गया,जब महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और शिवसेना (यूबीटी) के नेता आदित्य ठाकरे ने सीएम देवेंद्र फडणवीस को खत लिखकर बेलगाम को केंद्र शासित प्रदेश का ऐलान करने का विधानसभा में प्रस्ताव लाने को कहा. उस पत्र में आदित्य ठाकरे ने भी लिखा कि सरकार अगर यह प्रस्ताव लेकर आती है तो शिवसेना (यूबीटी) इस प्रस्ताव का सर्वसम्मति से इस पर साथ देगी. 

मराठी भाषी लोगों के साथ इंसाफ नहीं हुआ

आदित्य ठाकरे का कहना है कि बेलगाम और कारवार सीमा पर मराठी भाषी लोगों के साथ इंसाफ नहीं हुआ है. ऐसे में महाराष्ट्र सरकार को बेलगाम को केंद्र शासित प्रदेश बनाने का ऐलान करना चाहिए. इसके लिए केंद्र सरकार के पास प्रस्ताव भेजना होगा. वहीं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी कहा कि इस मामले में कर्नाटक के सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले मराठी भाषी क्षेत्र के लोगों के साथ सरकार खड़ी है. उन्होंने इस बात की निंदा की है कि बेलगाम समेत कर्नाटक के सीमावर्ती इलाकों में रह रहे मराठी भाषी लोगों के साथ कर्नाटक सरकार अन्याय कर रही है. कर्नाटक सरकार की इस बात की भी निंदा हो रही है जिसमें वहां की सरकार ने कहा कि मराठी लोगों को बैठकें नहीं करनी चाहिए. यह  संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है.

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