बाल विवाह के खिलाफ असम सरकार सख्त है. असम सरकार ने इसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई बढ़ा दी है. इस वजह से 20 जिलों में बाल विवाह के मामलों में 81 प्रतिशत तक की कमी देखी गई है. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने 2026 तक असम में बाल विवाह को पूर्ण रूप से समाप्त करने का फैसला किया है. असम में बाल विवाह समाप्त करने की मुहिम के लिए हिमंत बिस्वा सरमा की दिल्ली में तारीफ की गई है.
नई दिल्ली में रविवार को आयोजित एनडीए-बीजेपी सीएम की बैठक पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई थी. बैठक में हिमंत बिस्व सरमा को केेंद्रीय मंत्रियों सहित अन्य राज्य के मुख्यमंत्रियों से सराहना मिली. एनडीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से पीएम मोदी ने असम मॉडल को फॉलो करने का आग्रह किया, जिसे बाल विवाह की समस्या को सुलझाया जा सके. पीएम मोदी ने अधिकारियों से कहा कि वे असम का दौरा करें, जिससे वे देख पाएं कि राज्य ने कैसे बाल विवाह को समाप्त करने के लिए कदम उठाया है.
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सरकार की ये मुहिम आई काम
बाल विवाह को रोकने के लिए असम सरकार ने कई महत्वपूर्ण फैसले किए हैं. सरकार ने पिछले साल गुवाहाटी में लोक सेवा भवन बाल विवाह के खिलाफ सबसे व्यापक नीति निजुत मोइना योजना का शुभारंभ किया. 1500 करोड़ रुपये की ये योजना, 10 लाख लड़कियों को उच्च माध्यमिक, स्ननातक और स्नातकोत्तर जारी रखने के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाएगी.
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योजना के तहत छात्राओं को मिल रहे हैं सालाना 25 हजार तक
योजना के तहत, जो छात्राएं हायर शिक्षा पूरा करेंगी, उन्हें हर साल 10 हजार रुपये, स्नातक करने वाली छात्राओं को 12,500 और स्नातकोत्तर करने वाली छात्राओं को 25 हजार रुपये दिए जाएंगे. ये योजना बाल विवाह को रोकने के लिए प्रभावी रूप से काम कर रही है.
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